देश भर में बेरोज़गारी की स्थिति सबको पता है, केंद्र और राज्य सरकारें चाहे जितनी कोशिश कर ले छुपाने की लेकिन हक़ीक़त यही है देश में बेरोज़गारी अपने रेकर्ड स्तर पर है. अब ऐसे हालात में अपनी पढ़ाई पूरी कर रोज़गार की तलाश में भटक रहे युवा को ठगना बाहुत आसान हो जाता है. कुछ ऐसी ही ठगी का प्रयास किया जा रहा है बिहार-झारखंड में कम्प्यूटर शिक्षक की बहाली के नाम पर.
इन राज्यों के स्कूलों में 10 हजार कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली के नाम पर दिल्ली की संस्था द्वारा 500-500 रुपये डिमांड ड्राफ्ट और 40 रुपये के स्टांप पेपर मांगे जा रहे हैं. यानी यदि एक लाख छात्र आवेदन देते हैं, तो संस्था द्वारा 5.40 करोड़ रुपये छात्रों से लिये जायेंगे. लेकिन सरकार ने ऐसे किसी बहाली से इनकार किया है जिससे ये साफ़ हो जाता है की ये शिक्षकों के भर्ती के नाम पर ठगी का प्रयास किया जा रहा है.
दिल्ली की संस्था आजाद एजुकेशन ओफ इंडिया ने 14.6.2019 को 10862 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया है. इस फर्जी विज्ञापन में इस संस्था की ओर से कंप्यूटर शिक्षक के 10 हजार, जिला संयोजक के 60 और ब्लॉक संयोजक के 802 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा गया है. कंप्यूटर शिक्षक के लिए उम्र सीमा 18 से 45 साल निर्धारित की गयी है. साथ ही उन्हें 17550 रुपये वेतन देने का वायदा किया गया है.
प्रभात ख़बर ने इस ठगी का ख़ुलासा करते हुए विस्तार में ख़बर प्रकासित किया है, जिस कंप्यूटर शिक्षक पद के लिए बहाली की बात की जा रही है वो पद झारखंड के सरकारी मिडिल स्कूलों में है ही नहीं हैं और न ही सरकार द्वारा किसी एजेंसी के माध्यम से ऐसे किसी शिक्षकों को संविदा पर नियुक्त करने की योजना है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड के प्रधान सचिव एपी सिंह ने इसे फर्जी करार देते हुए यह कहा है कि झारखंड सरकार की ओर से किसी को नियुक्ति के लिए अधिकृत नहीं किया गया है.
ऐसे में बेरोज़गार युवाओं को इस प्रकार के ठगी और फर्जीवाड़ा से सावधान रहने की ज़रूरत है. और सरकार अगर युवाओं को नौकरी नहीं दे सकती है तो कम से कम नौकरी के नाम पर ठगने वाले से बचाने का प्रयास तो कर हीं सकती है.