बिहार STET-19 के मेरिट लिस्ट में घपला! बिहार सरकार को पारदर्शिता से परहेज क्यों?

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सरकार किसी भी पार्टी की हो और कोई भी सरकारी नौकरी की बहाली क्यों ना हो, सम्बंधित विभाग हमेशा से पारदर्शिता से परहेज़ करती है. बिहार STET-19 की पूरी प्रक्रिया में जो हंगामा पिछले दो सालों से हो रहा वो फ़िलहाल थमने वाला नहीं है. समझ नहीं आता की सरकार क्या अभ्यर्थियों को क्या अब भी इतना अंजान समझती है कि जो मन में आए वो कर रही, क्या सरकार ये सोचती है क्या जब जो जी में आया करेगी और क्षात्र कोई सवाल नहीं करेंगे?

बिहार STET-19 परीक्षा से लेकर रिज़ल्ट और मेरिट लिस्ट तक की प्रक्रिया में सरकार ने हर बार पर विवादास्पद कदम उठाया है जिसके कारण सम्बंधित विभाग के साथ-साथ सरकार की भी बदनामी हो रही है. STET-19 के प्रक्रिया पर लग रहे आरोप को चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता रखकर बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता था पर शिक्षा मंत्री और सम्बंधित विभाग ने वो मौका गँवा दिया है.

बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Minister Vijay Kumar Choudhary) ने सोमवार को संस्कृत, उर्दू और विज्ञान विषयों के लिए माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) पेपर I के पेंडिग रिजल्ट जारी किए हैं. पेपर-1 (कक्षा 9, 10) और पेपर-2 (कक्षा 11, 12) के लिए कुल 37335 रिक्तियों को भरने के लिए यह परीक्षाएं आयोजित की गई थी.

मार्च महीने में 12 विषयों का परिणाम आया तो इन विषयों सीटों के बराबर या उससे कम ही अभ्यर्थी उतीर्ण हुए थे, बाकी बचे तीन विषयों के परिणाम को घोषित समय से एक दिन पहले यानी 21 जून को प्रकाशित किया गया परंतु विभाग ने बचे 3 विषयों के परिणाम के साथ सभी 15 विषयों के लिए एक मेरिट लिस्ट भी जारी किया जिसके बाद एक बार फिर से बिहार STET-19 सुर्खियों में है.

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मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद क्षात्रों के आरोप बिहार सरकार और शिक्षा मंत्रालय पर गम्भीर सवाल खड़े कर रहे हैं. मेरिट लिस्ट में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को बाहर रखा गया है (Not In Merit List). सवाल है की जब सीट के बराबर या कम अभ्यर्थियों ने बिहार STET-19 में क्वॉलिफ़ाई किया था तो ऐसे कैसे हो रहा की इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट से बाहर रखा गया है, यही नहीं कुछ विषयों में ख़ाली सीटों की संख्या ज़ीरो (0) है जिसका मतलब सभी रिक्त सीटों को भर दिया गया है.

अब अभ्यर्थियों का आरोप है की जब मार्च महीने में परिणाम घोषित किया गया था तब तो शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी और उनके अधिकारियों द्वारा ये कहा गया था कि सभी क्वालिफाइड अभ्यर्थियों की बहाली की जाएगी.

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सोशल मीडिया पर एसटीईटी के अभ्यर्थी तरह तरह के सबूत डाल रहे हैं. कई ऐसे क्षात्र भी हैं जिनका दावा है की अधिक अंक होने के बाद भी उन्हें मेरिट लिस्ट से बाहर रखा गया है. बड़ी संख्या में अभ्यर्थी माँग कर रहे हैं की मेरिट लिस्ट में आए सभी नामों को साझा किया जाए और साथ ही क्वालिफाइड अभ्यर्थियों का नाम भी साझा किया जाए.

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अगर सरकार सच में पाक साफ है तो क्या परेशानी है मेरिट लिस्ट में आए सभी नामों और क्वालिफाइड अभ्यर्थियों का नामों में साझा करने में.! क्या ऐसी नौबत आनी चाहिए थी कि इतने साधारण माँग के लिए सालों से नौकरी की आस लगाए बैठे बेरोज़गार नौजवानों को हंगामा करना परे? क्यों नहीं विभाग ने ये पहले साफ़ कर दिया की कितने लोग क्वालिफाइड हैं और किस आधार पर मेरिट लिस्ट बनायी जाएगी? मेरिट लिस्ट आने के 24 घंटे बाद भी क्यों नहीं सरकार के तरफ से सफाई दी गई की किस आधार पर मेरिट लिस्ट बनाया गया और कैसे इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट से बाहर रखा गया है?

बिहार जैसे पिछड़े राज्य में जहां नौकरियों के लिए सबसे अधिक भागदौड़ होती है वहाँ अभ्यर्थियों को राज्य के शिक्षा मंत्री और विभाग के बड़े अधिकारी के द्वारा नौकरी का वादा किया जाता है और फिर जब बहाली की बात आती है तो ऐसे विवादास्पद और संदेहपूर्ण चयन प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसमें किसी को कुछ पता नहीं चल रहा की हो क्या रहा है; क्या इसे नीतीश कुमार की सरकार कभी क्वालिफाइड अभ्यर्थियों और उनके परिवार वालों को समझा पाएगी?

ऐसे में सरकार को उचित सफाई देनी चाहिए की कैसे इतनी बड़ी संख्या में क्वॉलिफ़ायड लोगों को मेरिट लिस्ट से बाहर रखा गया है, और कैसे इसके बाद भी कई विषयों में सभी सीटों को भर लिया गया है.? शिक्षा मंत्रालय को ये भी साफ़ करना होगा की किस आधार पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार सोशल मीडिया पर सभी अभ्यर्थियों को बहाली की बात कर रहे थे.!