सच है, घटना चाहे कितनी भी बड़ी हो जनता देर-सवेर भुल ही जाती है, जब उन्नाव पीड़ित के कार को यूपी में ट्रक से उड़ाया गया था तब देश भर में लोगों ने पीड़िता और उसके परिजन को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ उठाया; पुलिस, अदालत और जाँच एजेन्सी ने भी रफ़्तार के साथ काम किया. हादसे के दो दिन बाद सीबीआई ने 30 जुलाई को कुलदीप सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश के एक भाजपा मंत्री के दामाद अरुण सिंह और सात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. लेकिन, अब सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता दुर्घटना मामले में अपने पहले आरोप पत्र में भाजपा (BJP) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) और उसके अन्य सहयोगियों को हत्या के आरोप से आज़ाद कर दिया है.
बत दे की इस हादसे में पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. लखनऊ में विशेष सीबीआई (CBI) अदालत में दाखिल अपने पहले आरोपपत्र में सीबीआई ने प्राथमिकी में नामजद सेंगर और अन्य सभी आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने एवं डराने-धमकाने से सम्बंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोपी बनाया है. इसके पहले सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में सेंगर और नौ अन्य के विरूद्ध आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास और डराने धमकाने से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
यही तो बात है सड़क दुर्घटना के नाम पर मौत की साज़िश का, अपराधियों को पता होता है अधिक से अधिक क्या हो सकता है! और कुलदीप सेंगर जैसे राजनीतिक तौर पर मजबूत लोगों के लिए और भी आसान हो जाता है ऐसी घटना को अंजाम देना. बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को तो CBI ने हत्या के आरोप से आज़ाद कर दिया है अब देखना है की सेंगर पर लगी बलात्कार की धाराएँ कब तक चलती है.
हालाँकि, अगस्त महीने में सीबीआई ने कोर्ट में कहा था की उन्नाव पीड़िता के आरोप बिल्कुल सही है, MLA कुलदीप सेंगर ने किया था रेप. अब देखने है की CBI कब तक भाजपा (BJP) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को सबूत और तथ्यों के अभाव में बलात्कार के मुक़दमों से भी आज़ाद कर देती है.