भाजपा और खास कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी जनसभाओं में बार-बार तथाकथित बोफोर्स घोटाले के नाम पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घेरने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन, वहीं देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी CBI अब इस मामले में कोई जाँच नहीं करना चाहती. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) ने एक फरवरी 2018 को अदालत में इस मामले में आगे जाँच करने कि इजाजत के लिए याचिका दायर की थी जिसे आज 16 मई 2019 को वापस ले लिया है. दरअसल, एजेंसी का कहना था कि उसके पास मामले से जुड़े कुछ और सबूत है और वो आगे इस मामले की जाँच करना चाहती है पर अब CBI ने कोर्ट के फैसले के पहले हीं यू-टर्न ले लिया है.
सीबीआई (CBI) के इस बदले हुए रुख पर कोर्ट ने कहा, “इसका कारण तो सीबीआई ही बेहतर जानती है, मामले में वह अपनी अर्जी वापस लेना चाहती है, ऐसा करने का उन्हें अधिकार है क्योंकि वे आवेदक हैं.”
आज (गुरुवार) को सीबीआई ने कोर्ट में कहा था कि वह जांच संबंधी याचिका वापस लेना चाहती हैं जिसके बाद अदालत ने CBI को आगे जाँच की याचिका वापस लेने की मंजूरी दे दी है. CBI के अलावा इस मामले में एक निजी याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल भी दोबारा केस ओपन और आगे जांच से जुड़ी अपनी याचिका को वापस लेना चाहते हैं. कोर्ट उनकी याचिका पर छह जुलाई को सुनवाई करेगी.
इससे पहले, चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट नवीन कश्यप ने सवाल उठाया था, ‘आखिर सीबीआई को इस मामले में आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति क्यों चाहिए?’ कोर्ट ने तब यह भी कहा कि सीबीआई को केस से जुड़ा रिकॉर्ड पेश करना होगा, जिसमें जांच एजेंसी को बताना होगा कि उसे आगे की जांच के लिए कोर्ट की मंजूरी चाहिए.
बता दें कि सीबीआई ने मामले में सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करने के 31 मई 2005 के दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी फैसले को चुनौती देते हुए दो फरवरी, 2018 को उच्चतम न्यायालय में एक अपील दायर की थी. उच्चतम न्यायालय ने दो नवंबर 2018 को मामले में सीबीआई (CBI) की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 13 साल की देरी पर माफी मांगी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अपील दायर करने में 4,500 दिनों की देरी को लेकर माफी के संबंध में जाँच एजेंसी CBI के जवाब से वह संतुष्ट नहीं है.