मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है लेकिन फिर भी मणिपुर लगभग 45 दिनों से जल रहा है. हालात ये है की राज्य में डेढ़ महीने से अधिक समय से जनजीवन बिल्कुल ठप है और लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है. इसके बावजूद शायद ही किसी नैशनल न्यूज़ चैनल ने मणिपुर हिंसा पर डिबेट किया होगा, शायद ही किसी देशभक्त, विपक्षी पार्टियों और हिंदू-मुश्लिम के नाम पर नाचने, चीखने और स्टूडीओ में दौरने वाले ऐंकर ने डबल इंजन की सरकार के किसी नेता या मणिपुर के किसी मंत्री को डिबेट में बुला कर सवाल किया हो.
ध्यान रहे गोदी मीडिया के इस दौर में, नैशनल न्यूज़ चैनल और अख़बारों में जो खबरें आपको परोसा जा रहा है उसे देखने और समझने से अधिक जरुरी है ये समझना और जानना की छुपाया क्या जा रहा है. देश की जनता को समझना होगा कि अगर VFX और फर्जी Video के ज़रिए दिन रात बिपरजोय तूफ़ान के बारे में अगर समझाया जा रहा है तो मणिपुर में हो रहे हिंसा की खबरें को छुपाया भी जा रहा है. अगर गोदी मीडिया दिन रात हिंदू-मुश्लिम के डिबेट में आपको उलझा रही है तो वहीं मणिपुर में डबल इंजन सरकार की विफलता को छुपा भी रही है.
मणिपुर के हिंसा की भयावहता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की 15 जून की रात को केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर उपद्रवियों ने जला दिया. इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री आरके रंजन ने अपने राज्य की भाजपा BJP सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा की मैं स्तब्ध हूं, मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह फेल हो गया है. भाजपा नेता और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन मणिपुर की राजधानी इंफाल के कोंगबा बाजार इलाके में रहते हैं, हालांकि जब हिंसा हुई तब घर पर कोई नहीं थे इसलिए जानमाल की कोई छती नहीं हुई.
जिस राज्य में डेढ़ महीने से अधिक समय से लगातार हिंसा का माहौल है लोग अपने घरों में बंद है और यहाँ तक की केंद्रीय मंत्री टाइप लोगों का घर भी सुरक्षित नहीं है, यही नहीं कानून व्यवस्था फेल होने की बात खुद सत्तारूढ़ पार्टी के भी नेता कबूल रहे हैं तो फिर केंद्र सरकार क्या कर रही है! अगर मणिपुर में भाजपा (BJP) के अलावा किसी भी अन्य पार्टी की सरकार होती तो क्या भाजपा, नैशनल मीडिया, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित साह ऐसे ही ठंढे रहते; नहीं… अगर किसी भी अन्य पार्टी की सरकार होती तो नैशनल मीडिया उस पार्टी के नेताओं को डिबेट में नोंच रही होती, खुदको देशभक्त बताने वाले एक्स्पर्ट या देशभक्ति के कॉपीरायट वाले जागरुक एक्स्पर्ट ना जाने कितनों को देशद्रोही बना दिया होता और केंद्र सरकार ने देशहित और राज्यहित में राष्ट्रपति शासन लगा दिया होता.
जिस लेवल की तत्परता गृह मंत्रालय ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में दिखाई थी और गैरकानूनी (सुप्रीम कोर्ट के अनुसार) तरीक़े से राष्ट्रपति शासन लगा दिया था काश हमारे प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री उतनी ही तत्परता और सक्रियता मणिपुर में दिखाते तो शायद आज डेढ़ महीने से अधिक वक्त तक मणिपुर जल नहीं रहा होता. शायद लोग घरों से बाहर निकल कर अपने-अपने काम पर जा रहे होते. कितनों का घर जलने से बच पता और कई जानें बच पाती.
मणिपुर में हिंसा जिस उग्रता की ओर बढ़ रही वो बेहद ख़तरनाक हो सकता है ना सिर्फ मणिपुर के लिए बल्कि पुरे देश के लिए, या कहा जाय की मणिपुर की हिंसा देश हित में नहीं है, हिंसा को तत्काल रोकना ही देश हित में है. PM मोदी और गृहमंत्री अमित साह को मणिपुर में हो रहे हिंसा से सम्बंधित सभी पक्षों के लोगों से बात कर तत्काल ही शांति बहाल करनी चाहिए. केंद्र सरकार को अब समझ जाना चाहिए की राज्य सरकार और राज्य की पुलिस बल स्वाभाविक रूप से सक्षम नहीं है. बहुत देर हो चुकी है, अब इस हिंसा को पूरी शक्ति के साथ रोकने और शांति बहाल करने के लिए हर-संभव कदम उठाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए इससे पहले की यह दोनों समझ के बीच कभी ना खत्म होनेवाला मतभेद बन जाए.
मणिपुर में हो रहे हिंसा को समझने के लिए आप YouTube से DrishtiIAS और StudyIQ के कुछ वीडियो में अच्छी तरह समझाया गया है. किसी न्यूज़ चैनल या न्यूज़ ऐंकर को सुनने से अच्छा होगा आप ऐसे किसी वीडियो को देखें जो आपको मणिपुर हिंसा के पीछे की असली कहानी समझा पाएगी.