जब भी हम किसी छोटे शहर के एक सरकारी कॉलेज की कल्पना करते हैं तो लचर व्यवस्था और न्यूनतम सुविधाओं के लिए तरस रहे कॉलेज की छवि सामने आती है, जिसमें ना कभी नियमित पढ़ाई होती हो और ना कोई जरूरी व्यवस्था हो. और, यह कल्पना अगर बिहार या झारखंड के संदर्भ में हो तो स्थिति और छवि और भी ख़राब हो जाती है. लेकिन, झारखंड में कोल्हान यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाला घटशिला कॉलेज अंगीभूत कॉलेज होते हुए भी बिल्कुल अलग है. जिन राज्यों में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में मुश्किल से कोई सेशन समय पर हो पाता है, जहाँ के कॉलेजों में मुश्किल से कभी कोई बच्चे क्लास करने आते हैं वहीं एक घाटशिला कॉलेज हैं जहाँ की शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था राज्य के अच्छे प्राइवट स्कूल-कॉलेज की तरह या उससे भी बेहतर है.
यहाँ समय पर क्लासें होते है और बच्चे हर दिन क्लास के लिए आते हैं, ऐसा नहीं लगता की घाटशिला कॉलेज झारखंड के छोटे से क़स्बे का एक सरकारी कॉलेज है, घाटशिला कॉलेज वाक़ई एक बेहतरीन कॉलेज है और यह सिर्फ़ मैं नहीं बल्कि UGC-NAAC द्वारा देश भर में किया गया सर्वे भी यही कह रहा; दरअसल, घाटशिला कॉलेज को National Assessment and Accreditation Council (NAAC) 2017 में हुए सर्वे में A ग्रेड मिला. घटशिला कॉलेज के अलावा पूरे झारखंड में सिर्फ़ 2 अन्य कॉलेजों को A ग्रेड दिया गया.
एक-समान सरकारी सुविधाएँ, धनराशि, और छोटे से क़स्बे में होने के बाद भी घाटशिला कॉलेज क्यों बिहार झारखंड के अन्य सरकारी कॉलेजों से बेहतर है? इस सवाल का जवाब सिर्फ़ वहाँ वर्षों से कार्यरत शिक्षक, विद्यार्थी, और अन्य कर्मचारियों के पास है. कॉलेज के लगभग सभी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ लम्बे समय से वहाँ कार्यरत हैं जिस कारण उनमें कॉलेज के प्रति लगाव है, उन्हीं लोगों की आपसी समझ और लगन ने कॉलेज में शिक्षा और अन्य क्रियाकलापों के लिए एक बेहतरीन माहौल और व्यवस्था तैयार की है.
कॉलेज को NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) से मिले A ग्रेड का श्रेय कॉलेज के स्थायी और आस्थायी शिक्षकों और कर्मचारियों को जाता है जिनकी मेहनत और समर्पण के कारण हीं सभी व्यवस्थाएँ दुरुस्त हुई है। कम वेतन और कई महीनों तक बिना वेतन के बाद भी लगभग 25 आस्थायी अथिति शिक्षकों के निरंतर सहयोग, स्थायी और वहाँ पहले काम कर चुके शिक्षकों के प्रयास का नतीजा है कि घाटशिला कॉलेज में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद में A ग्रेड मिला जिनमे देश सिर्फ़ 8.8% शिक्षण संस्थान शामिल है.
झारखंड राज्य के कुल 98 कॉलेज में UGC द्वारा स्थापित NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) ने सर्वे किया जिनमे राज्य के सिर्फ़ तीन सरकारी कॉलेज जमशेदपुर वोमेंस कॉलेज, निर्मला कॉलेज और घाटशिला कॉलेज को A ग्रेड दिया गया. यही नहीं घाटशिला कॉलेज को मिला कुल CGPA राज्य में सभी सरकारी कॉलेज से अधिक है, जहाँ जमशेदपुर वोमेंस कॉलेज का 3.06 CGPA रहा वहीं घाटशिला कॉलेज को 3.07 CGPA मिला; ध्यान रहे घाटशिला कॉलेज इस प्रक्रिया में पहली बार शामिल हो रहा था, इसी के साथ पहली बार में A ग्रेड मिलना भी अपने आप में एक रेकर्ड है. ग्रेड सम्बंधित जानकारियाँ आप यहाँ क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं.
लेकिन, हाल के कुछ महीनों में कॉलेज में आए नए प्राचार्य को शायद UGC-NAAC के ग्रेड से साबित राज्य के सबसे अच्छे सरकारी कॉलेज की व्यवस्था, माहौल और शिक्षण प्रक्रिया शायद पल्ले नहीं पड़ रही शायद यही करना है कि बी एन प्रसाद के प्राचार्य के तौर पर आने के बाद से ही विभिन्न कारणों से कॉलेज विवादों में बना रहता है. कॉलेज के प्राचार्य सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दांव पर रख सब कुछ अपने और सिर्फ़ अपने अनुसार चलाना चाहते हैं जो घाटशिला कॉलेज को इस मुक़ाम तक लाने वाले और वर्षों से कार्यरत सभी स्थायी और आस्थायी शिक्षकों और कर्मचारियों का सरासर अपमान और अनदेखी है.मतभेद की शुरूआत तब हुई जब कॉलेज में प्राचार्य के तौर पर आने के एक सप्ताह के अंदर बी एन प्रसाद ने असेम्ब्ली के बाद होने वाले राष्ट्र्गान को बंद करवा दिया.वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे पर पाबंदी लगाने की कोशिश की.
प्राचार्य B N Prasad के खिलाफ कई बार विद्यार्थियों तथा शिक्षकों ने आवाज़ उठायी जो स्थानीय मीडिया में छाई रही, परंतु हाल के कुछ दिनों में प्राचार्य इस कॉलेज में तानाशाही चलाने की अपनी सोच से ग्रसित ऐसे कई सबूत दिए जिसे जानकर लगता है कि छात्रों और शिक्षकों का आवाज़ उठाना तब तक बेकार है जब तक कि यूनिवर्सिटी स्तर से कोई हस्तक्षेप ना हो. पिछले दिनों प्राचार्य का एक विडीओ वाइरल हो गया जिसमें वे अपनी तानाशाही सोच से ग्रस्त देखे जा सकते हैं.
प्राचार्य बी एन प्रसाद इस विडीओ में बता रहे हैं कि वे कॉलेज में मार्शल लॉ लगाएगे । यही नहीं घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य, प्रशासन और यूनिवर्सिटी के VC को अपनी जेब में होने की बात भी कर रहे हैं. प्रशासन के जेब में होने की अपनी बात का प्रमाण तो प्राचार्य ने दे दिया; बीते सोमवार को राजनीति विज्ञान की कक्षा में दो पुलिस वाले छात्रों के तरह बैठे पाए गाए. पूछताछ करने के बाद पता चला कि दोनों घाटशिला थाना के प्रशिक्षु दरोगा रविकान्त प्रसाद और अंकित कुमार हैं.
शिक्षण संस्थान में पुलिस की इस तरह से दखल को कही से जायज नहीं ठहराया जा सकता है, ये तब और भी चिंताजनक हो जाता है जब ख़ुद कॉलेज के प्राचार्य के इशारे पर यह सब हो रहा है. घाटशिला कॉलेज UGC-NAAC से A ग्रेड प्राप्त कॉलेज प्राचार्य बीएन प्रसाद के आने के पहले से है और A ग्रेड उन्हीं शिक्षकों, क्षात्रों और अन्य कर्मचारियों के बदोलत है जिन पर प्राचार्य मार्शल लॉ चलाने की बात विडीओ में कर रहे और उनके कारण भी जिनकी जासूसी के लिए थाने से पुलिस को बुला रहे वह भी विद्यार्थी बन कर.
प्रशासन के जेब में होने की बात तो प्राचार्य ने क्लास रूम में छात्र बना दो पुलिस वाले को भेज कर साबित कर दिया है अब देखना है, वाइरल विडीओ में किए दावे के अनुसार क्या VC और यूनिवर्सिटी प्रशासन भी प्राचार्य के पक्ष में, प्राचार्य की जेब में है! इसका जवाब VC और यूनिवर्सिटी प्रशासन की आगामी कार्रवाई से पता चल जाएगा. राज्य के सबसे अच्छे सरकारी कॉलेज में लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर जो तानाशाही व्यवस्था चलाने का प्रयास कॉलेज के प्राचार्य द्वारा किया जा रहा है उस पर VC और यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई या प्रतिक्रिया ग़ौरतलब होगी. वाइरल विडियो में कही बातों को प्राचार्य ने स्थानीय मीडिया को दिए अपने बयान में अप्रत्यक्ष रूप से कबूल किया है.
विदित हो कि प्राचार्य की कार्य शैली से परेशान अतिथि शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी अधिकारीयों से फरियाद की है. एक प्रतिनिधि मंडल ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से प्राचार्य की बदमिजाजी की भी शिकायत की. शिकायत की जानकारी मिलने के बाद ऐसे एक तदर्थ शिक्षक को उसके घर पर जाकर धमकाया गया और प्रिन्सिपल के खिलाफ कुछ करने पर बरबाद करने की चेतावनी दी गयी.
अब सोचना VC और यूनिवर्सिटी प्रशासन को है और कॉलेज में पढ़ रहे छात्रो, उनके अभिभावकों और स्थानीय लोगों को है कि उन्हें घाटशिला जैसे कॉलेज के लिए कैसी व्यवस्था चाहिए और अपने बच्चे के लिए कैसा कॉलेज चाहिए? लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाल कॉलेज चाहिए या प्राचार्य के इशारे पर चलने वाली तानाशाही चाहिए जिसमें बच्चों के बीच बच्चे बन पुलिस वाले बैठे हों पढ़ने और पढ़ने वालों की जासूसी करने के लिए.