ऐंटी सैटलाइट वेपन A-SAT सफलतापूर्वक लॉन्च – साइबर युद्ध में भी मददगार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश को संबोधित किया. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आज कुछ ही समय पहले भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. भारत ने अंतरिक्ष में ये उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने बताया कि भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद ‘ऐंटी सैटलाइट वेपन A-SAT सफलतापूर्वक लॉन्च करने वाला चौथा बड़ा देश बन गया है.

इससे देश को क्या फायदा होगा?

उपग्रह की सैन्य क्षमता कई गुना है. ऐसे में भारत के लिए यह उपलब्धी काफी बड़ी है. इसकी मदद से अब कोई भी देश जो भारतीय सीमा के ऑर्बिट अटैक करने की कोशिश करेगा तो भारत उसे मार गिरा सकता है. भारत और चीन के बीच जारी तनाव को देखते हुए भारत के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है.

भारत के पास यह क्षमता है कि वह दुश्‍मन के कम्‍यूनिकेशन को नुकसान पहुंचा दे. बहुत आसान भाषा में कहें तो भारत के पास अब एक ऐसा मिसाइल है जो अंतरिक्ष में उपग्रहों को मार सकती है.

साइबर युद्ध में भी मददगार:

मौजूदा समय में साइबर युद्ध बहुत बड़ा खतरा बन चुका है लेकिन भारत अभी इस तरह के युद्ध से जूझने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. यह बात सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कही थी. हुड्डा को साइबर वारफेयर का विशेषज्ञ माना जाता है. यह वही लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा हैं जिनकी देखरेख में 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में घुसकर सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी.

जैसा की हम सभी को पता है साइबर युद्ध में इन्टरनेट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और इन्टरनेट का स्रोत Satellite की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसे मे भारत का यह कदम साइबर युद्ध के विरुद्ध भी एक महत्वपूर्ण है.

इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत दुश्मन के सारे कम्युनिकेशन को मिनटों में खत्म कर सकता है. इसका फायदा यह भी है की किसी युद्ध के समय दुश्मन के राडार को भी धवस्त किया जा सकता है. जो किसी देश के एयर फ़ोर्स को अँधा कर देने जैसा होगा.

राजनैतिक मुद्दा:

प्रधानमंत्री के ऐंटी सैटलाइट वेपन A-SAT के सफल परिक्षण के घोषणा के बाद की विपक्ष आरोप लगा रही है की मोदी का यह कदम राजनीति से प्रेरित है. जिससे बीजेपी ने पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया है.

वैसे यदि यह एक राजनैतिक कदम है फिर भी स्वागत योग्य है क्योंकि अगर राजनीति विज्ञान और टेक्नोलॉजी को लेकर हो तो यह देश के राजनीति में एक नई शुरुआत है. जिस देश में आज भी सभी राजनीतिक दल जात, धर्म, मंदिर और मस्जिद के सहारे अपनी वजूद बचा रहे हों वहां रॉकेट साइंस पर यदि कोई राजिनित करता है तो देश के लिए ख़ुशी की बात है.

कांग्रेस के आरोप में कितना दम?

प्रधानमंत्री के ऐलान तुरंत बाद ही राहुल ने वैज्ञानिक को तो बधाई दिया लेकिन उसी ट्वीट में प्रधानमंत्री को “Theatre Day” कह कर मज़ाक बनाया.

कांग्रेस कुछ के कुछ नेता तो श्रेय नेहरु जी को देने से भी नही चुके.

परन्तु वही 2012 के समय के DRDO और IRSO ने एक साथ कहा कि उस समय के सरकार इस प्रयोग को करने की इजाज़त नही दी थी.