अगर मोदी सरकार में रेल मंत्री पीयूष गोयल के ग्रेविटी वाले बयान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए युवाओं द्वारा ओला-उबर चुनने को जिम्मेदार मनाने वाले बयान पुराना लगने लगा हो तो, चिंता बिल्कुल नहीं करें, क्योंकि बेरोजगारी, मंदी, ICU में रुपया के सवाल का जवाब मिले या नहीं मिले लेकिन सरकार ने जनता के मनोरंजन का पूरा ध्यान रखा है, रोजगारों की कमी हो सकती है लेकिन मनोरंजन में कोई कमी नहीं होने वाली है.
बेतुकी बयानबाजी में माहिर मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नेताओं में नया नाम जुड़ा है केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार, मंत्री जी की माने तो देश में नौकरियों की कमी नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के लोगों में योग्यता की कमी है. ऐसे वैचारिक अंधे लोग जब तक सरकार में हैं और हमारे लिए फैसले ले रहे तब तक सही जवाब और सही जानकारी की उम्मीद करना अनुचित है.
केंद्रीय मंत्री आईवीआरआई के सभागर में केंद्र सरकार के 100 दिन पूरे होने पर उपलब्धियों और भावी योजनाओं की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में अपने कार्य से जनता में शासन के प्रति विश्वास जगाया है. देश में आर्थिक मंदी जैसी स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये हैं.
अपने संसदीय क्षेत्र बरेली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, “देश में रोजगार की कमी नहीं है. हमारे उत्तर भारत में जो रिक्रूटमेंट करने आते हैं, इस बात का सवाल करते हैं कि जिस पद के लिए रख रहे हैं, उसकी क्वालिटी का व्यक्ति हमें कम मिलता है.”
गंगवार ने प्रेस कांफ्रेंस में यह भी कहा, “आज कल अखबारों में रोजगार की बात आ गई है. हम इसी मंत्रालय को देखने का काम कर रहे हैं, रोज ही इसकी निगरानी करते हैं. देश भर में रोजगार की कमी नहीं है. रोजगार बहुत है.” हालाँकि बाद माहौल खराब होता देख मंत्री ने अपनी बात पर सफाई दी जो इस टाइप के वैचारिक अंधे लोग करते हैं, लेकिन क्या ये सरकार और नेताओं का देश के लोगों के प्रति सोच को नहीं दिखता? मंत्री जी को अब WhatsApp और फेक न्यूज़ की दुनियां से बहार निकलना चाहिए और अपनी तथा सरकार की असफलता को ऐसी मंदबुद्धि वाले बयान के पीछे छुपाने का प्रयास बंद करना चाहिए, आसान नहीं होगा लेकिन चाहे तो किसी उत्तर भारतीय का मदद ले सकते हैं.
MoS Santosh Gangwar on his remark''No lack of jobs.Recruiters who come to North India say people lack skills needed for particular job':What I said had different context that there was lack of skills&govt has opened skill ministry so children can be trained as per job requirement https://t.co/5vwCbQLBQP
— ANI (@ANI) September 15, 2019
केंद्रीय मंत्री किस डेटा के आधार पर बहुत रोजगार होने की बात कर रहे वो शायद मंत्री जी को भी नहीं पता क्योंकि बड़ी चालाकी के साथ रोजगार संबंधित आँकड़ों को सरकार ने जनता के पहुँच से दूर कर दिया है. 2019 आम चुनाव के ठीक पहले नेशनल सैंपल सर्वे का एक डेटा लीक किया गया था जिसके अनुसार देश भर में बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. गोदी मीडिया के दौर में सही खबरों को जगह नहीं दिया जाता, लेकिन सच्चाई ये है कि लगभग सभी क्षेत्रों में लाखों की संख्या में नौकरियाँ जा रही, देश का जीडीपी रिकार्ड निचले स्तर पर है.
मंत्री जी ने जो कहा वो या तो गलत है या अधूरा, क्योंकि देशभर के लगभग सभी प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालय तक में शिक्षा का जो कबाड़ा सालों से सभी सरकारों ने किया है उसमें पिछले 5 वर्षों में भी कोई सुधर नहीं आई है और न सुधर के लिए कोई कदम उठाया गया है. लगभग सभी विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों में शिक्षा संसाधन और शिक्षकों का भयंकर अकाल है, ये स्थिति उत्तर भारत में अधिक गंभीर जरुर है जिसके लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकारों तक सभी जिम्मेदार हैं. देशभर में खास कर उत्तर भारत में कई ऐसे संस्थान हैं जो स्नातक की डिग्री के लिए 3 साल के जगह 5-6 साल तक का समय लगा रही.
ऐसी मुर्दा शिक्षा वेवस्था के पीड़ित सबसे बड़ी संख्यां में उत्तर भारत के लोग जरुर हैं लेकिन देश और दुनियां को पता है की उनकी प्रतिभा में कोई कमी नहीं है. अगर केंद्रीय मंत्री की इक्षा है उत्तर भारतीय की प्रतिभा और क्वालिटी जानने की तो किसी भी सरकारी या प्राइवेट विभाग या कंपनियों में काम करने के वालों और हर साल नौकरियां पाने वाले लोगों के आंकरें माँगा ले, सरकार और मंत्री जी को पता चल जायेगा की उत्तर भारतीय और जिन राज्यों के तरफ गं गवार ने इशारा किया है वहां के लोगों की प्रतिभा तथा क्वालिटी का.
रेलवे, बेकिंग, सिविल सेवा, और प्राइवेट आईटी कंपनियों तक नौकरियां पाने में उत्तर भारतीय सबसे अधिक सफल होते हैं. जिन उत्तर भारतीयों पर मंत्री जी टिपण्णी कर रहे वही उत्तर भारतीय देश-विदेश में अपनी कठोर मेहनत और पतिभा के दम पर किसी सरकारी सहयोग और शुविधा के बना भी सबसे अधिक संख्या में हर साल सफल होते हैं. लेकिन ये वैचारिक अंधे नेताओं को नहीं दिखेगा, शायद नियत ही नहीं है देखने की, जाहिर सी बात है जब जुमले और इस तरह के मूर्खतापूर्ण बयानों से कम चल ही जाता है तो मेहनत करने की जरुरत ही क्या है!
अगर मंत्री जी चाहे तो देश की सबसे महत्वपूर्ण मानी जनि वाली परीक्षाओं UPSC और IIT के ही किसी भी साल का परिणाम उठा के देख ले या अपने कार्यालय में ही झांक ले तो समझ आ जायेगा उत्तर भारतियों के प्रतिभा, योग्यता, और क्वालिटी का. मंत्री जी, आप जिन प्रदेशों की तरफ इशारा कर अपमानित कर रहे, वो आपके जैसे नेताओं की गन्दी राजनीती के कारन आज भी पिछड़े राज्यों में गिने जरुर जाते हैं, लेकिन पीछे बिल्कुल नहीं हैं. यकीन नहीं होता, आस-पास देखिये, मेट्रो में काम करने वाले मजदूरों से लेकर आपके कार्यालय और पीएमओ में काम कर रहे IAS अधिकारियों तक की संख्या सबसे अधिक उन्ही प्रदेशों से होगी.