पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप – जब करांची से भारत आ रहे विमान के लिए इंडियन एयरस्पेस का सारा राडार बंद कर दिया गया था

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18 दिसंबर, 1995 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया कस्बे के ग्रामीण सुबह-सबेरे जागने के बाद रोजमर्रा की तरह अपने खेतों की ओर जा रहे थे. इस दौरान उन्हें अचानक जमीन पर कुछ बक्से दिखाई दिए. जब इन बक्सों को खोला गया तो ग्रामीणों की आखें खुली की खुली रह गईं. इनमें भारी मात्रा में बंदूकें, गोलियां, रॉकेट लांचर और हथगोले जैसे हथियार भरे हुए थे. जितने विस्फोटक ये हथियार थे यह खबर भी उतने ही विस्फोटक तरीके से देशभर में फैल गई. यह इतनी बड़ी घटना थी कि सरकार को इस मामले में तुरंत ही देश के सामने नतीजे पेश करने थे. सरकार के लिए यह राहत की बात थी कि जांच एजेंसियों को चार दिन बाद ही एक बड़ी सफलता मिल गई. 21 दिसंबर को भारतीय उड्डयन अधिकारियों ने थाईलैंड से कराची जा रहे एक ‘संदिग्ध’ एयरक्राफ्ट को मुंबई के ऊपर उड़ते वक्त ट्रैक किया और उसे नीचे उतरने पर मजबूर कर दिया. इस जहाज में सवार लोगों से पूछताछ के बाद पता चला कि पुरुलिया हथियार कांड के तार इसी एयरक्राफ्ट और इसमें सवार लोगों से जुड़े हैं.

जांच एजेंसियों के मुताबिक ‘एन्तोनोव-26’ नाम के इस रूसी एयरक्राफ्ट ने ही 17 दिसंबर, 1995 की रात को पुरुलिया कस्बे में हथियार गिराए थे. पैराशूटों की मदद से गिराए गए उन बक्सों में बुल्गारिया में बनी 300 एके 47 और एके 56 राइफलें, लगभग 15,000 राउंड गोलियां (कुछ मीडिया रिपोर्टें राइफलों और गोलियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा बताती हैं), आधा दर्जन रॉकेट लांचर, हथगोले, पिस्तौलें और अंधेरे में देखने वाले उपकरण शामिल थे. ‘एन्तोनोव-26’ में मौजूद एक ब्रिटिश हथियार एजेंट पीटर ब्लीच और चालक दल के छह सदस्यों को फौरन गिरफ्तार करके उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई. लेकिन इस कांड का असली सूत्रधार बताया जाने वाला किम डेवी, जिसका जिक्र हमने ऊपर किया है, आश्चर्यजनक रूप से हवाई अड्डे से बच निकलने और अपने मूल देश डेनमार्क पहुंचने में कामयाब हो गया.

इस मामले में सीबीआई ने जो चार्जशीट बनाई है उसके मुताबिक पुरुलिया हथियार कांड के पीछे आनंद मार्ग है. सीबीआई का कहना है कि आनंद मार्गी इन हथियारों की मदद से बंगाल सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ना चाहते थे. इस दावे के पक्ष में सीबीआई की तीन मुख्य दलीलें हैं. पहली यह कि आनंद मार्गी और वामपंथी आपस में ‘सनातन बैरी’ रहे हैं और इनके बीच अक्सर खूनी वारदातें होती रहती हैं. दूसरी दलील है कि जिस स्थान पर हथियारों का जखीरा गिराया गया वह आनंद मार्ग के मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर था. सीबीआई की तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण दलील है कि गिराए गए हथियारों की जो मात्रा पीटर ब्लीच ने बताई थी, उससे बहुत कम हथियार ही मौके से बरामद हुए और इसका मतलब है कि कुछ हथियार आनंद मार्गी उठाकर ले जा चुके थे.

29 अप्रैल, 2011 को टाइम्स नाऊ पर प्रसारित एक इंटरव्यू में किम डेवी ने दावा किया कि पुरुलिया हथियार कांड भारत सरकार के इशारे पर अंजाम दिया गया था. उसके मुताबिक तब केंद्र की कांग्रेस सरकार पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट सरकार को अस्थिर करना चाहती थी. पीवी नरसिंह राव की सरकार बंगाल में सत्ताधारी दल के कैडर की हिंसा का जवाब हिंसा से देना चाहती थी इसलिए उसने ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई-5 के साथ मिल कर एक योजना बनाई. वो यही नही रुके उसने पुरे विस्तार से बताया की कैसे सरकार ने एक एक सांसद के मदद से उसे पुणे से दिल्ली बुलाया और फिर सरकारी आवास पर रखा गया. वो सांसद और कोई नही बल्कि बिहार के बाहुबली राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव थे. जिसने किम डेवी को ट्रेन से नेपाल पंहुचा दिया.

सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बिना भारत सरकार की जानकारी और इजाजत के कोई विदेशी एयरक्राफ्ट भारत के वायुक्षेत्र में करांची से कैसे प्रवेश कर सकता था? और तो और यह एयरक्राफ्ट आठ घंटे तक बनारस के एयरपोर्ट पर रुका भी रहा. यहां से ईंधन भरवाने के बाद ही इसने पुरुलिया में हथियार गिराए थे. फिर वह कोलकाता होते हुए थाइलैंड निकल गया. जानकर बताते हैं की ऐसा तभी संभव है जब इंडियन एयरस्पेस के सरे राडार एक साथ बंद किया गया हो. यदि ऐसा था तो उस समय के सरकार पुरे देश की सुरक्षा के साथ समझोता किया था.

टाइम्स नाउ को दिए गये पुरे इंटरव्यू को यू tube पर देखा जा सकता है.