प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के सभी नेता जिन सरकारी योजनाओं की बात सबसे ज़्यादा करते हैं उनमे से एक है प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भी है जिसमें मोदी सरकार द्वारा दावा किया जाता रहा है की उनकी सरकार ने सभी ग़रीब महिलाओं को रसोई में सम्मान के साथ खाना बनाने में मदद किया है. आप किसी भी पेट्रोल पम्प पर जाएँ आपको इस योजना का प्रचार करते मोदी का पोस्टर दिख जाएगा, मुझे नहीं लगता ये सभी हज़ारों लाखों पोस्टर्स मुफ़्त में लगे होंगे, काश, दिखावों से ज़्यादा अगर मोदी सरकार इस योजना के कार्यान्वयन में ध्यान लगती तो शायद संबित पत्रा जिसे माँ बोलके सम्बोधित कर रहे हैं उस ग़रीब और उनके जैसे अन्य ग़रीबों को मिट्टी के चूल्हे पर लकरी जलकर खाना नहीं बनाना परता.
ये कोई नई बात नहीं है, चुनाव के समय सभी नेताओं को ग़रीब के प्रति संवेदना का ढोंग करते देखा जाता रहा है और चुनाव बाद कोई नज़र भी नहीं आता. हमारे देश की राजनीति का ये कड़वा सच है जिसे सभी मतदाता जानते हैं लेकिन फिर भी हर पाँच साल बाद ऐसे ढोंग के शिकार हो ही जाते हैं. जनता अगर असली और नक़ली संवेदना में फ़र्क़ करना सिख ले तो शायद इस देश के लोगों का कल्याण हो जाएगा. इसे ढोंग इसलिए कहूँगा क्योंकि संबित पात्रा इसका इस्तेमाल चुनाव में वोट पाने के लिए कर रहे हैं, अगर उनकी भावना सच्ची होती तो क्या वो विडियो बनवाते और माँ लो विडियो बना भी लिया तो क्या वो सोशल मीडिया पर शेयर करते?
भारतियों का माँ शब्द मात्र से हीं बहुत इमोशनल लगाव होता है और नेताओं को भी ये बात मालूम है इसलिए भाजपा के नेता कभी माँ को एटीएम के लाइन में खड़ा करते हैं तो कभी किसी ग़रीब के घर खाना खाकर उसे चुनाव के लिए यूज करते हैं. हालाँकि इस प्रकार के तमाशे की शुरुआत राहुल गांधी ने कई साल पहले किया था, ग़रीब के घर खाना खा कर और मज़दूरों के साथ सर पर मिट्ठि उठाकर; लेकिन, राहुल गांधी उसे इतने अच्छे से यूज नहीं कर पाए थे, कोंग्रेस को सिखना चाहिए भाजपा के नेताओं से की कैसे इन सब बातों का यूज किया जाता है!
अपने इस तमाशे में संबित पात्रा इतने मशगूल थे कि अपनी ही सरकार की योजना का पोल खोल दिया, जहाँ प्रधानमंत्री और पार्टी के नेता जगह जगह करोड़ों ख़र्च कर ये बता रहे की उज्जवला योजना ने सभी ग़रीब लोगों को घरों में लकड़ी के जगह गैस चूल्हे पर खाना बनने का मौक़ा दिया वहीं पात्रा द्वारा जड़ी इस विडियो में देखा जा सकता है की जिस ग़रीब विधवा माँ की वो बात कर रहे वो मिट्टी के चूल्हे पर खाना बना रहीं हैं.
यह मेरा अपना परिवार है, माँ ने खाना बनाकर खिलाया। मैंने अपने हाथों से इन्हें खाना खिलाया और मैं यह मानता हूँ कि इनकी सेवा ही ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। [2/2]@BJP4India #PhirEkBaarModiSarkar pic.twitter.com/E6ABMFj10w
— Chowkidar Sambit Patra (@sambitswaraj) March 31, 2019
वीडियो में संबित पात्रा सफ़ेद कपड़े में हैं और ऊपर एक गेरुआ वस्त्र हैं, जमीन पर बैठकर भोजन ग्रहण कर रहे हैं. उनके बगल में ही एक बुढ़ी महिला है, जो चूल्हे पर खाना पका रही है, संबित इस दौरान खुद भी खाना खा रहे हैं और महिला को भी खिला रहे हैं. जिस समय संबित पात्रा लोकसभा चुनाव के ये प्रमोशनल विडियो बनवाने में मशगूल थे वो बूढ़ी महिला चूल्हे से निकलने वाले धुआँ और धूल से जूझते हुए खाना बना रही थी, उस बेचारी महिला और उसके परिवार को जड़ा भी आभाश नहीं होगा की उसके घर आए नेता कैसे पूरे परिवार का इस्तेमाल अपने चुनाव प्रचार और प्रचार के लिए प्रमोशनल विडियो बनाने में कर रहे और वो भी फ्री में.
संबित पात्रा ने एक और वीडियो डाला और लिखा- ‘यह मेरा अपना परिवार है, मां ने खाना बनाकर खिलाया. मैंने अपने हाथों से इन्हें खाना खिलाया और मैं यह मानता हूं कि इनकी सेवा ही ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है.’
पुरी के एक छोटे से गांव में में रहने वाली एक बूढ़ी विधवा माँ, उसकी तीन बेटियां जिनमें 2 दिव्यांग व बेटा मजदूरी करता है। ऐसी माँ का घर बनाने का काम श्री @narendramodi जी ने किया है। [1/2]@BJP4Odisha #PhirEkBaarModiSarkar pic.twitter.com/zhAzafVjbr
— Chowkidar Sambit Patra (@sambitswaraj) March 31, 2019
संबित पात्रा के इस पोस्ट को ट्विटर पर ख़ूब ट्रोल किया जा रहा है.
ये माँ आज भी चूल्हे पर खाना पकाने को मज़बूर है। ये विधवा हैं और उनकी 2 बेटियां दिव्यांग हैं।
उज्ज्वला योजना का क्या हुआ?
विधवा पेंशन और दिव्यांग पेंशन का क्या हुआ?
तुम जैसे चौकीदारों के रहते किसने चोरी कर लिया इनका हक़? ?— Nana : Chowkidar chor hai (@RoflNana_) March 31, 2019
उज्जवला एक जुमला है जो इस धुंए के साथ उड़ गया.
— Anil Dubey (@anildubey04) March 31, 2019