इस बार के लोकसभा चुनाव ने नेताओं और राजनीतिक दलों का असली चेहरा सामने ला दिया है. एक समय था राजनीति में संयम और सभी के प्रति सम्मान को सराहा जाता था, अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी करने वाले नेताओं को जिस प्रकार पार्टी वोट बैंक के लालच में चुपचाप बर्दास्त करती है वो भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है.
राजनीतिक पार्टियों में प्रमुख स्थानों पर बैठे नेता लगातार सभी नियमों कि अनदेखी कर बेतुकी बयानबाज़ी कर रहे हैं और चुनाव आयोग एक नोटिस तक भजेने के लिए भी कई बार सोचती है. हर चुनाव में जो भी विपक्षी पार्टियाँ होती हैं वो चुनाव आयोग के निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, चुनाव आयोग निष्पक्ष है या नहीं इसका नहीं पता लेकिन कमज़ोर ज़रूर है, वरना आज़म खान और हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती जैसे नेता की इतनी हिम्मत कैसे हो जाती की ये लोग स्त्री का अपमान और विपक्ष के सबसे बड़े नेता को माँ की गली दे.
आजम खान ने बीते रविवार को जयाप्रदा का नाम लिए बगैर कहा कि ‘आपको उसकी असलियत पहचानने में 17 साल लग गए लेकिन मैं 17 दिनों में पहचान गया कि वह खाकी अंडरवियर पहनती है’. आज़म खान कोई गली मुहल्ले का मामूली नेता नहीं है, वो शुरू से हीं पहले मुलायम यादव और अब अखिलेश की समाजवादी पार्टी के क़द्दावर नेता माने जाते हैं. खान ने ये बयान भड़ी सभा में चुनावी रेली के दौरान दिया. जब आज़म खान अपनी निर्लज्जता का परिचय दे रहे थे उस समय सेक्युलर होने का घंटी बजाने वाले अखिलेश यादव समेत सपा और बसपा के सभी बड़े नेता स्टेज पर मौजूद थे और किसी ने एक शब्द नहीं बोला. हद तो तब हो गई जब सपा ने आज़म खान के बचाव के लिए सभी न्यूज़ चैनलों पर अपने प्रवक्ता भेज दिया, जो खान के बेशर्मी को सही साबित करने में लगा रहा.
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद चुनाव आयोग ने कार्रवाई करते हुए आज़म खान पर 72 घंटे तक चुनाव प्रचार प्रसार से दूर रहने का फ़रमान दिया लेकिन आजम खान इसके बाद भी नहीं माना, उत्तर प्रदेश में जगह जगह चुनाव सभा में बयानबाजी करते रहे जिसके कारण चुनाव आयोग ने दोबारा नोटिस जड़ी कर 24 घंटे में जवाब माँगा, चुनाव आयोग ने उनकी टिप्पणियों के उदाहरण देते हुए कहा कि एक मौके पर उन्होंने कथित रूप से कहा कि ”फासीवादी” उन्हें मारने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने दूसरे मौके पर कथित रूप से कहा कि प्रधानमंत्री ने मुस्लिमों को मारा है. उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कथित रूप से कहा था कि अपराधी संवैधानिक पदों पर आसीन हैं.
वैसे इस तरह की बयानबाज़ी करने में भाजपा नेताओं की बात करें तो वो भी कम नहीं हैं. भाजपा के नेता दो क़दम आगे हीं हैं इस प्रकार की शर्मनाक हरकतें और बयानबाज़ी करने में. यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भारतीय सेना को मोदी की सेना बताते हैं, UP के हीं एक सांसद भड़ी सभा में अपने हीं पार्टी के विधायक को चप्पल से कूटते हैं और कभी भाजपा के एक अन्य नेता TV Show के दौरान किसान नेता को मारने के लिए चप्पल उठा लेते हैं. लेकिन, इन सभी नेताओं का रिकॉर्ड हिमाचल भाजपा अध्यक्ष ने तोड़ दिया. हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने भारतीय राजनीति में निर्लज्जता और आपत्तिजनक बयान देने में एक नया मुक़ाम हासिल कर लिया है.
ANI द्वारा 13 अप्रैल का एक विडीओ जड़ी किया गया था जिसमें सतपाल सिंह सत्ती कह रहे हैं कि आपको (राहुल गांधी) ये ही पता नहीं लगता है कि बोलना क्या है, मंच के ऊपर से आप नरेंद्र मोदी जी को आप चोर बोल रहे हैं, चौकीदार चोर है.
बीजेपी के हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘भैया, तेरी मां की ज़मानत हुई है, तेरी ज़मानत हुई है, तेरे जीजे की ज़मानत हुई है. पूरा टब्बर ही ज़मानती है, भाई तू कौन होता है जज की तरह चोर बोलने वाला है.’ अगर इस देश का चौकीदार चोर है. इसके बाद सतपाल ने हाथ में एक कागज उठाया और कहा, ‘एक पंजाबी आदमी ने फेसबुक पर लिखा है जो मैं मंच से नहीं बोल सकता. राहुल जी के बारे में हम भी नहीं बोल सकते क्योंकि एक पार्टी के राष्ट्रीय नेता हैं और तीन बार के सांसद हैं.
मैंने रणधीर शर्मा (प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता) से पूछा कि क्या लिखा है तो उन्होंने कहा कि मैं बता नहीं सकता, आप फ़ेसबुक पर पढ़ो, लोगों में हमसे भी ज्यादा गुस्सा है. मैं भारी मन से बोल रहा हूं, उसने लिखा है – इस देश का चौकीदार चोर है, अगर तू बोलता है तो तू माध*** है.” एक राज्य के पार्टी अध्यक्ष के स्तर का नेता अगर देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सभा के सामने माँ की गली दे रहा तो आप अंदाज़ा लगा सकते है हमारे देश के नेताओं की सोच कितनी गिर गई है. हालाँकि, हिमाचल के बद्दी में पुलिस ने सतपाल सिंह सत्ती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील हरकतें) के तहत मामला भी दर्ज किया है.
देश का पूरा राजनीतिक सिस्टम सड़ गया, यहाँ अब नफ़रत, झूठ और ठगी का बोलबाला है; जो जितना झूठ बोले, जितनी गालियाँ दे और जितना अपने विपक्षी पार्टियों का अपमान करे उसे उतना हीं महान बनाने का प्रयास पार्टी और कार्यकर्ता द्वारा किया जाता है. जो नेता आज अपने साथी या विपक्षी नेताओं का अपमान करता है, महिलाओं का अपमान करता है, विपक्ष के नेता को स्टेज से माँ की गालियाँ देता है क्या वो कभी जनता का सम्मान और जनहित का सोच भी सकता है? ये हमारे लिए भी शर्मनाक बात है की हम आज़म खान या सतपाल सिंह जैसे नताओं को अपना प्रतिनिधि चुनते हैं.
अब इन मामले का चुनाव आयोग, पुलिस या अदालत में क्या होने वाला है इसका अंदाज़ा आप नेताओं के क़द को देखकर आसानी से लगा सकते हैं. ये तो ज़ाहिर है की ऐसे बयानबाज़ी करने वाले नेताओं को नियम या क़ानून व्यवस्था का कोई डर नहीं है इसलिए बार बार ऐसे बयान देते हैं और कोई कुछ नहीं कर पाता, अब या तो ऐसी बयानबाजी गलत/अपराध नहीं है या हमारे देश की क़ानून या प्रशासन इतना मज़बूत नहीं है की ऐसे लोगों को सज़ा दे सके जो देश का राजनीतिक स्तर, राजनीतिक भविष्य, और देश के माहौल को बर्बाद कर रहा हो.