जेट एयरवेज के अर्स से फ़र्स तक की कहानी बहुत ही दिलचस्प और उतार चढाव से भरी रही है. इसके संस्थापक नरेश गोयल की जीवनी भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नही है. नरेश गोयल ने 1974 मे ट्रेवल एजेंसी खोला और उसका नाम जेट एयर रखा था जिसके लिए उनका मजाक भी बना. अगला 19 साल किसी सपने को सच में बदलने से कम नही रहा, अपने सारे आलोचकों को गलत साबित करते हुए जेट एयरवेज को हकीकत मैं बदल दिया.
पहले हम एक नज़र डालते हैं नरेश गोयल के बचपन और संघर्ष के दिनों पर. नरेश गोयल जब 11 साल के थे तो उनका घर नीलम हो गया और परिवार आर्थिक संकट में फस गया. उस कठिन हालात में उन्होने परिवार को संभाला ग्रेजुएशन तक पढ़ाई भी की.
1967 में पहली बार दिल्ली आए और अपने चचेरे नाना के ट्रेवल एजेंसी में नौकरी की और अपने सपने को साकार करने के पीछे जुट गए. 1991 में आर्थिक उदारीकरण के कारण भारत एक खुले मार्केट के रूप मे उभरा और नई नई निजी कंपनी के स्थापना आसान हुई. नरेश गोयल ने मौके का फायदा उठाते हुए नए एयरलाइन कंपनी के लिए आवेदन कर दिया.
1993 में इज़ाज़त मिलने के बाद दो विमानों के साथ कंपनी शुरू कर दिया. जेट एयरवेज के बेड़े का पहला 2 विमान था बोइंग 737 और बोइंग 300.
नब्बे के दौर में जबकि बाकी कंपनीयां घाटे में चल रही थी, जेट एयरवेज मुनाफे वाली कंपनी बन गयी. अपनी सुविधाओं के कारण यात्रियों के बहुत पसंद किया जाने लगा और 2002 के आते आते घरेलू बाज़ार में इंडियन एयरलाइन्स को पछाड़ सबसे बड़ी कंपनी बन गयी.
2005 में जेट एयरवेज की शेयर बाज़ार में लिस्टिंग हई जिसमे नरेश गोयल ने कंपनी के 20% शेयर 8000 करोड़ मैं बेचा. 2006 में एयर सहारा को 2250 करोड़ में खरीदा. इससे जेट एयरवेज 27 और विमान मिला साथ ही मार्केट शेयर बढ़कर 12 प्रतिशत हो गयी. इसके बाद कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की और अपने मुनाफे को और बढ़ाने मैं कामयाब रही.
इसी बिच 2006 में इंडिगो की शुरुआत राहुल भाटिया तथा राकेश एस गंगवाल के नेतृत्व में हुई जो सस्ती विमान सेवा विकल्प लेकर आयी. 2012 के आते आते सस्ती इंडिगो ने जेट एयरवेज को बाज़ार के हिस्सेदारी के मामले में पीछे छोड़ दिया. 2012 में ही एतिहाद एयरवेज ने जेट एयरवेज का 24% हिस्सेदारी ख़रीदा जिसके बाद नरेश गोयल के परिवार की हिस्सेदारी 51% राह गयी.
परंतु इस दौरान कंपनी घाटे मैं जा पहुंची जिसका मुख्य कारण था बाज़ार में इंडिगो और स्पाइस जेट जैसे कंपनी से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा और महंगा ईंधन.
2018 के सुरुआत से ही कंपनी के ख़राब आर्थिक हालात की ख़बरें बाहर आनी शुरू हो गयी थी. अगस्त के अन्त तक विमानों को ना उड़ा पाने की बातें भी सामने आयी. इस क्रम में लगभग 40 विमान का परिचालन रोक दिया गया.
जेट पर कुल लोन 8200 करोड़ है जिसमे से 31 मार्च तक 1700 चुकाना जरूरी था परन्तु जेट एयरवेज की आर्थिक तंगी के वजह से यह नहीं चुकाया जा सका. बैंक ने और लोन देने के लिए कड़ी शर्तें रखीं जिसके कारण नरेश गोयल को कंपनी के मैनेजमेंट से हटना पड़ा. बैंक इससे भी संतुष्ट नहीं हुई तथा उसने लोन देने से पहले मैनेजमेंट को रिवाइवल प्लान देने को कहा. कंपनी इस पर कम कर और शायद जल्दी इसे बैंक के सामने रखेगी. इस बिच पैसों के तंगी की वजह से जेट एयरवेज 17 अप्रैल को अपनी सेवा कुछ दिन के लिए बंद करने की घोषणा की.
With deep sadness and a heavy heart we would like to share that, effective immediately, we will be suspending all our domestic and international flight operations.
More: https://t.co/SaQ2iwIBRJ— Jet Airways (@jetairways) April 17, 2019
अभी तक की जानकारी के अनुसार कुछ भी तय नही है की जेट एयरवेज वापस से असमान को छू पायेगी या नही परन्तु यात्री कभी भी जेट एयरवेज के बेहतरीन सेवा को नही भूल पाएंगे. हम सभी बस उम्मीद ही कर सकते हैं एक भारत की शान रहे एयरवेज की वापसी हो और यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाओं का लाभ मिले.