उत्तर प्रदेश में के सहारनपुर में एक भाजपा नेता ने यूपी के योगी सरकार पर सवाल पूछे जाने पर अपना आप खो दिया, सहारनपुर बीजेपी के जिला अध्यक्ष विजेंद्र कश्यप इस कदर भड़क गए कि उन्होंने सवाल करने वाले भारतीय किसान यूनियन के नेता को मारने के लिए हाथों में जूता ले लिया वो भी तमाम लोगों के के सामने ही. लोकसभा चुनाव के ओपचारिक घोषणा के बाद से ही ना सिर्फ़ राजनीतिक पार्टियाँ बल्कि टीवी चैनलें भी चुनावी रंग में पूरी तरह रंग चुकी है और जगह जगह अलग अलग टीवी कार्यक्रम किए जा रहे हैं जहाँ मुद्दे की बात और सही सवाल के अलावा बाक़ी सब कुछ होता है.
यह घटना ऐसे हीं एक टीवी कार्यक्रम के दौरान की है, जब भारतीय किसान यूनियन के नेता अरुण राणा ने यूपी सरकार द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान अब तक नहीं हो पाने को लेकर सवाल पूछ लिया या कहें की सवाल पूछने की ग़लती कर दी; उनके इस सवाल ने सहारनपुर से बीजेपी के जिला अध्यक्ष विजेंद्र कश्यप को नाराज कर दिया. वह अपना आपा खो बैठे और उन्होंने अपना जूता हाथों में ले लिया, फिर क्या था, वहाँ के हवा में बस दो ही चीज़ें थीं एक मोदी मोदी के नाड़े और दूसरा नेताजी का जूता जो मोदी-मोदी के नाड़े से भी ऊपर उठ रहा था. विजेंद्र कश्यप ने किसान यूनियन के नेता को मारने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोगों के बीच-बचाव पर उसे रोक लिया, शायद वहां मौजूद लोगों ने याद दिलाया होगा ये पार्टी मीटिंग नहीं है टीवी कार्यक्रम है.
वैसे जूते से यूपी के नेताओं का पुराना नाता है, और ऐसा लगता है जैसे व्यावहारिक रिस्ता है यूपी भाजपा का जूते और गली से. अभी कुछ दिन पहले आपने देखा होगा किस तरह से यूपी में ही भाजपा के सांसद शरद त्रिपाठी ने अपने ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह पर भड़ी सभा में गली और जूतों की बरसात की थी. कहीं ऐसा तो नहीं की सहारनपुर बीजेपी के जिला अध्यक्ष विजेंद्र कश्यप अपने पार्टी के सांसद शरद त्रिपाठी के फ़ैन हों और उन्हें आदर्श मानते हों. (विडियो: लोकमत न्यूज़)
ऐसे हरकत चाहे जिस भी पार्टी के नेता करते हों उससे पार्टी की छवि तो ख़राब होती ही है साथ साथ संगठन के मानसिकता और घमंड के स्तर के भी पता चलता है. अभी के समय में सबसे बड़ा अपराध है कुछ शीर्ष के नेताओं से सवाल करना. अगर आप किसी भाजपा के बड़े नेता से सवाल करते हैं तो या तो आप पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा कूटे जाएँगे या आपको देश द्रोही घोषित किया जा सकता है.
हालाँकि में नहीं मानता की जिन नेताओं के नाम पर ऐसे हरकत किए जा रहे हैं वो इन घटनाओं की सराहना करते होंगे चाहे वो योगी आदित्यनाथ हों या PM मोदी हों. प्रधानमंत्री मोदी ने तो एक सभा में यहाँ तक कहा की उनसे सवाल करने वाले और उनकी आलोचना करने वालों की वो सराहना करते हैं, हाँ ये बात अलग है की पिछले 5 साल में मोदी जी ने एक भी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया जो अपने आप में एक रेकर्ड है.