गृहमंत्री अमित शाह ने धारा 370 को हटाने का संकल्प राज्यसभा में पेश किया

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Photo Credit: hindustantimes.com

जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर सरकार के फैसला लेने की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. इसके बाद राज्यसभा में सुबह 11 बजे गृह मंत्री अमित शाह बयान दे रहे हैं। शाह दोपहर को लोकसभा में भी बयान देंगे. भाषा के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री के आवास पर सबसे पहले पहुंचने वालों में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद शामिल रहे.

राज्यसभा में गृहमंत्री के बयान के बाद पिछले 96 घंटों से चल रहे संशय का अंत हो गया. भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने वादे को पूरा करने के संकल्प को सबके सामने रखा. ज्ञात हो की जनसंघ के संस्थापक में रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 का विरोध करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी.

2019 आम चुनावों में BJP के ‘संकल्प पत्र’ में JammuAndKashmir अनुच्छेद 370 को लेकर क्या लिखा था?

क्या है 370?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ‘अस्‍थायी प्रबंध’ के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है. भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत जम्मू और कश्मीर को यह अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है.

1.भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं. मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.

2.संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए.

3.जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था. शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था. तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए.

4.राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।