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भारतीय वायु सेना का एक लड़ाकू विमान पिछले कुछ दिनों बहुत ही चर्चा का विषय बना हुआ है जिसका नाम है राफेल | लेकिन दिलचस्प बात ये है वो की अभी तक भारत वायु बेड़ा का हिस्सा नही है | आज हम भारतीय वायु सेना के बेड़े के कुछ प्रमुख लड़ाकू विमान एवं उसकी विशेषताओं की बात करेंगे | रक्षा के दृष्टिकोण से वायु सेना आधुनिक युग मे सबसे महत्वपूर्ण है क्यों की यही एक सेना है जो दुश्मन के सीमा में घुस के मार कर सकती है |
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चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ युद्ध की संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने 42 Sqadran की मंजूरी दे रखी है | परन्तु दुर्भाग्यवश वायुसेना के पास 33-34 Sqadroon ही है जिसमें रुसी विमानों की संख्या सबसे ज्यादा है और मिग और सुखोई जिसमें प्रमुख है | आइये हम एक नज़र डालते है हमारे प्रमुख लड़ाकू विमान एवं उनकी संख्या पर |
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सुखोई 30 MKI: सुखोई ३० एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी (multirole) लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।
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यह विमान 3,000 किमी. की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है और इसकी अधिकतम गति 2600 किमी. प्रति घण्टे की है | हथियारों के ले जाने के लिए इसमें कुल 12 हार्ड पॉइंट्स है साथ है इसमें 30 MM गुण भी लगा है | अभी हल ही मे ब्रह्मोस मिसाइल का भी सफल परीक्षण सुखोई से ही किया गया था |
मिराज 2000: टेक्नोलॉजी और पावर के हिसाब से यह विमान एयर फोर्स मैं दूसरे नंबर पर आता है। यह फ्रेंच ओरिजिन का लड़ाकू विमान है जिसे डसॉल्ट एविएशन ने बनाया है। नुक्लेअर कैपेबिलिटी से लैस यह विमान दुश्मन की सीमा मैं दूर तक जा कर हमला करने एवं बमबारी करने मे माहिर है । 80 के दसक के सुरुआत मे पाकिस्तान ने F16 अपने एयर फोर्स मै शामिल किया था जो उस समय इंडियन एयर फोर्स के सभी लड़ाकू विमानों से एडवांस था । इसको ध्यान मे रखते हुए भारत ने अक्टूबर 82 मैं 36 सिंगल सीट और 4 दो सीट वाले विमानों के खरीदने को मंजूरी दी। इसका पहला स्क्वाड्रन 1985 से सर्विस मैं आया ।
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1999 के कारगिल युद्ध मे मिराज ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी क्षमता को देखते हुए एयर फ़ोर्स ने 126 और मिराज को अपने बड़े मैं सामिल करने का सोचा जो बाद मैं राफाल सौदे के रूप मे सामने आया उसकी बात किसी एयर लेख करेंगे । अभी करीब 50 विमान वायुसेना मैं सेवारत है।
जगुआर: जगुआर फ्रेंच-ब्रिटिश मूल का लड़ाकू विमान है जो नुक्लेअर बम बरसाने कि क्षमता रखता है साथ ही यह डीप पेनेट्रेशन अटैक मैं भी माहिर है । SEPECAT कंपनी का यह विमान 1960 मैं पहली बार उड़ान भरा और 70 के दशक मैं फ्रांस और ब्रिटिश वायु सेना मैं शामिल हुआ। भारतीय वायुसेना सेना ने 1978 मैं इसके खरीद को मंजूरी दी और 1969 मैं पहले विमान भारत पहुचा ।
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जगुआर ने फ्रेंच और ब्रिटिश वायुसेना की तरफ से लड़ते हुए गल्फ युद्ध मे निर्णायक भूमिका निभाई थी । भरतीय वायुसेना ने भी 99 के कारगिल युद्ध मे इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर किया था |
लेकिन समय के साथ टेक्नोलॉजी पुरानी होती गयी जिसके चलते फ्रांस ने 2005 और ब्रिटेन ने 2007 मैं इसे रिटायर कर दिया। परन्तु भरतीय वायुसेना अभी भी इसे इस्तेमाल कर कर रही है और इसके अपग्रेड की बात की जा रही है ।
इसके इंजन का थ्रस्ट रेश्यो आधुनिक विमानों के तुलना मे कम है और उससे फ्लाइट टेकऑफ के समय दिक्कत होती है ।
फाइटर पायलट मज़ाक मैं कहा करते हैं की जगुआर इसलिए उड़ पता है क्योंकी धरती गोल है। सम्बवतः होनेवैल के नए इंजन लगने से यह समस्या दूर हो जाएगी। अपग्रेड का काम HAL करेगी जिसे इंजन HONEWELL से लेना है।
मिग 21/27: दोनों ही विमान रूस मैं निर्मित है । 21 और 27 सोवियत यूनियन के समय का विमान है जिसे अब रिटायर हो जाना चाहिए। मिग 21 वायुसेना के साथ 60 के दशक से जुड़ा है और इसके रिटायरमेंट की अवधि के बधाई जा चुकी है।
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मिकोयान मिग – 29 एम (Mikoyan MiG – 29M) (नाटो रिपोर्टिंग नाम: फुल्रुम – ई) एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जिसे मिकोयान मिग – 29 का एक उन्नत संस्करण के रूप में विकसित किया गया था। पूर्व में इसका नाम “मिग – 33” था। यह मूलतः 1980 के मध्य के दौरान सोवियत संघ में मिकोयैन द्वारा डिजाइन किया गया था। मिग 29 भारतीय नेवी और वायुसेना से जुड़ा है। एयरक्राफ्ट कैरियर से आपरेशन करने वाला सबसे उन्नत विमान जो नेवी के साथ सेवा मैं है |
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HAL Tejas: तेजस स्वदेसी विमान है जो मिग 21 और 27 का जगह लेगी। यह दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान है जिसके पास मल्टीरोल क्षमता है । फिलहाल एयरफोर्स ने मार्क 1K को अपने बेड़े मैं सामिल किया है। अगले 5-6 साल मई करीब करीब 100 और तेजस लड़ाकू विमान को सेना मैं शामिल किया जाएगा। साथ ही इतने ही मार्क 2 विमानों को भी शामिल करने की बात की जा रही है। मार्क 2 अभी भी डिज़ाइन फेज मैं ही है। मार्क 2 मैं ज्यादा ताकतवर इंजन लगाया जाएगा और एयरफ्रेम मैं भो कुछ बदलाव की जाएगा। जो कि MMRC के कैटेगरी मैं आएगा ।
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