अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक गढ़वाली परिवार में हुआ, पिता इंडियन आर्मी में थे. उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुने गए. चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे. 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए. अपने कार्यकाल में डोवाल भारत को कई समस्याओं से निजात दिलाई. उनके द्वारा किये गये कुछ महत्वपूर्ण ऑपरेशन थे – मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियान. इन सबके अलावा डोवाल ने करीब 7 साल अंडर कवर एजेंट के तरह पाकिस्तान में गुजारा.
आज हम उनके द्वारा अंजाम दिए गये कार्यों को संछिप्त में जानने की कोशिश करेंगे:
1. अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, भारतीय सेना को छापामार युद्ध कर रहे अलगावादियों के वुरुद्ध बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा था. इसे देखते हुए IB को टास्क दिया गया की वो सेना को सटीक जानकारी और रणनीति बनाने में मदद करें. डोवाल को इसकी जिम्मेदारी दी गयी और असंभव को उसने संभव कर दिखाया.
डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपनाना पड़ा था।
2. ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी.उस समय सबको पता था की खालिस्तानियों को पाकिस्तान के खुपिया एजेंसी ISI का समर्थन हासिल है. डोवाल ने रिक्सा चालक का वेष धारण किया और कुछ दिन स्वर्ण मंदिर के आसपास रिक्सा चलाया. इस दौरान वो आतंकियों को भरोसा दिलाने में कामयाब हो गये की वो ISI के एजेंट हैं. खालिस्तान समर्थक आतंकियों ने उन्हें अन्दर जाने की इज़ाज़त दे दी.
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डोवाल ने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
3. कश्मीर के उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी और कुछ को आपस में लड़ा दिया था. तब बहुत सारे गुट आपस में ही एक दुसरे के खून के प्यासे हो गये थे. उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना मुखबिर बना लिया था. लम्बे अंतराल के बाद 1996 में जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
4. पाकिस्तान के लाहौर में देश की रक्षा के लिए 7 साल तक मुसलमान बनकर रहे थे. वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं, जिन्हें सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अफसर हैं.
5. 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था. बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया, और यात्रियों को बंधक बना लिया गया.
सुरुआत में हाईजैकर्स ने हिंदुस्तान की जेल में कैद अपने 36 आतंकी साथियों की रिहाई के साथ-साथ 200 करोड़ रुपए की फिरौती की डिमांड रखी थी. जिसे डोवाल काफी हद तक कम करवाने में सफल रहे थे और अंत में आतंकियों के बदले बंधकों की रिहाई पर हाईजैकर्स राजी हो गए. छोड़े गए आतंकी में जैश-ए-मोहम्मद का आका मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल थे. डोवाल के अपने इन उपलब्धियों के कारण ही 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.
6.डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों के सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए.
7. पाकिस्तान के ऊपर हुए उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के पीछे भी NSA डोवाल की अहम् भूमिका रही है.
8. अनुच्छेद 370 समाप्त करने का फैसला एक ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है। इसको अमल में लाने की योजना पर लंंबे समय से काम चल रहा थ्ाा। सरकार के सामने कई चुनौतियां थीं और सबसे बड़ी चुनौती थी सुरक्षा व्यवस्था की। पहले से आतंकवाद से जूझ रहे इस क्षेत्र में सरकार के इस कदम का क्या असर होगा यह अभी कोई नहीं जानता था। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्होंने एक बार फिर खुद को साबित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सबका दिल जीत लिया। यह पहला मौका नहीं है जब वह अपनी जिम्मेदारियों पर खरे उतरे हों। इससे पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में वह डोभाल की भूमिका ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी अपना मुरीद बना लिया था।
जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल शोपियां पहुंचे. वहां अजीत डोभाल ने लोगों से मुलाकात की. इसके अलावा उन्होंने लोगों के साथ खाना भी खाया.
While Pakistan is busy celebrating celebrating #HafizSaeed’s radicalism, this is how NSA Ajit Doval spreads peace and positivity in Kashmir.
Difference! #KashmirMeriJaan #KashmirWelcomesChange pic.twitter.com/ZmiTKzPhjA— Geetika Swami (@SwamiGeetika) August 7, 2019
इसके अलवा डोवाल अनंतनाग में भी आम लोगों से मिले और उनका हल पूछा. डोवाल की सक्रियत्ता दिखता है कि को वो सामने रहकर नेतृत्व करने में भरोसा रखते हैं. वो जितने सक्रीय 370 को हटाने के बाद दिख रहे हैं उससे कही अधिक जिम्मेदारी उन्होंने इसके तैयारी में निभाया.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की विदाई का प्लान लोकसभा चुनाव से पहले ही आ चुका था. इस मुद्दे पर असल काम जून 2019 के दूसरे सप्ताह में शुरू हुआ. लोकसभा चुनाव के बाद प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली बीजेपी अब इस प्लान को अमली जामा पहुंचाना चाहती थी. जून के दूसरे सप्ताह में अमित शाह कश्मीर दौरे पर गए. इस दौरान गृह मंत्री ने सीनियर नौकरशाहों और सेना के बड़े अधिकारियों से लंबी बातचीत की. जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात का जायजा लेकर अमित शाह दिल्ली लौटे.
डोभाल का सीक्रेट श्रीनगर दौरा
दिल्ली से आदेश मिलने के बाद सरकारी अधिकारी और ब्यूरोक्रेसी ग्राउंड वर्क में जुट गईं. केंद्र जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर ये आकलन करने में लग गया कि अगर इस फैसले को लागू करने के बाद कुछ अनहोनी होती है तो उससे कैसे निपटा जाएगा.
जम्मू-कश्मीर और केंद्र सरकार करगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ मनाने में व्यस्त थीं, उसी दौरान एनएसए अजित डोभाल ने 23 और 24 जुलाई को श्रीनगर का सीक्रेट दौरा किया. जम्मू-कश्मीर में होनेवाले ऐतिहासिक बदलाव को सफल बनाने के लिए अजित डोभाल ने वहाँ कार्यरत आर्मी, एयर फोर्स, एनटीआरओ, आईबी, रॉ, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य की ब्यूरोक्रेसी के साथ सामंजस्य स्थापित किया. एनएसए ने इस प्लान को लागू करने के लिए बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाए जिससे केंद्र सरकार को धारा 370 में बदलाव को लागू करने में मदद मिली. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के माध्यम से हुए ऐतिहासिक बदलाव के प्रमुख किरदारों में एक अजित डोभाल भी हैं.
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Nice sir ji
इसे कहते हैं चौकिदार।
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