जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी चीफ महबूबा मुफ्ती और बीजेपी समर्थित सज्जाद लोन की तरफ से सरकार बनाने के अलग-अलग दावों के बाद भी बुधवार की रात राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखकर राज्य में सरकार बनाने का दावा किया था.
Former J&K CM and President of PDP Mehbooba Mufti writes to J&K Governor Satya Pal Malik to stake the claim for forming govt in the state. The letter reads, “You might have gathered from media reports that Congress and NC have decided to extend support to our party to form govt.” pic.twitter.com/F7coNfKO44
— ANI (@ANI) November 21, 2018
राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और सीनियर पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी ने इस गठबंधन की पुष्टि करते हुए कहा-“हमारी नेतृत्व ने इस बात की पुष्टि की है कि तीन राजनीतिक पार्टियाँ (कांग्रेस, पीडीपी और एनसी) राज्य की रानजीतिक और कानूनी विशेष पहचान बचाने के लिए एक साथ आने का फैसला किया है.
वही भाजपा ने गवर्नर के इस कदम का स्वागत किया है.
BJP welcomes the decision taken by the J&K Governor. Once again, NC, Congress & PDP hatched a conspiracy in Jammu & Kashmir that would have done injustice to Jammu and Ladakh. Will they form alliance before elections?: BJP State president Ravinder Raina on J&K assembly dissolved pic.twitter.com/0RxpoeWguy
— ANI (@ANI) November 21, 2018
वही दुसरे ओर PDP के बागी विधायक ने कहा की यदि उनको मौका दिया जाता तो सज्जाद लोन बहुमत साबित कर देते क्योंकि उसके पास PDP के 18 विधायक का समर्थन है.
If Governor would have called us for floor test,we would’ve shown our members. Now situation is different.Election is the only option. If Mehbooba Ji thinks it’s undemocratic, she has a lot of options in this democratic country:PDP rebel MLA Imran Ansari on J&K assembly dissolved pic.twitter.com/Jnxh33qIrC
— ANI (@ANI) November 21, 2018
जम्मू कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं जिसमें सभी पार्टियों की संख्या स्थिति कुछ इस प्रकार है.
- पीडीपी – 29
- बीजेपी -25
- नेशनल कॉन्फ्रेंस -15
- कांग्रेस -12
पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को मिलाकर 56 सीटें है जो की बहुमत के लिए जरुरी 45 से ज्यादा है. इस बात को देखते हुए अब ये सवाल जरुर उठेगा की जब सरकार बनाया जा सकता था तो राज्यपाल ने विधानसभा भंग क्यों कर दिया.? क्या ये सिर्फ गवर्नर का हीं फैसला था? यह कदम सवैधानिक तौर पर तो गलत है क्योंकि अगर सरकार बनने कोई भी संभावना बनती है तो उसे पहले मौका जरुर मिलना चाहिए. आने वाले दिनों में ये मुद्दा दिल्ली के गलियारों तक पहुँचगी यह तो तय है.
बीजेपी ने लगातार ट्विट करके राज्यपाल के फैसले को सही बताया है.
जो भी हो इस घटनाक्रम ने वर्षों से दुश्मन रहे महबूबा और उमर को दोस्त जरुर बना दिया.
And I never thought I’d be retweeting anything you said while agreeing with you. Politics truly is a strange world. Good luck for the battle ahead. Once again the wisdom of the people will prevail. https://t.co/OcN9uRje1s
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 21, 2018