रवीश कुमार को मिला एशिया का नोबेल कहा जाने वाले रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड

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वरिष्ट पत्रकार और एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को 2019 के ‘रैमॉन मैगसेसे’ पुरस्कार के लिए चुना गया, रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड एक बेहद महत्वपूर्ण सम्मान है और इसे एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. बता दें कि रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार एशिया के व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रैमॉन मैगसेसे की याद में दिया जाता है.

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड देने वाली संस्था ने ट्वीट कर बताया कि रवीश कुमार को यह सम्मान “बेआवाजों की आवाज बनने के लिए दिया गया है.” रैमॉन मैगसेसे अवार्ड फाउंडेशन ने इस संबंध में कहा, “रवीश कुमार का कार्यक्रम ‘प्राइम टाइम’ ‘आम लोगों की वास्तविक, अनकही समस्याओं को उठाता है.” साथ ही प्रशस्ति पत्र में कहा गया, ‘अगर आप लोगों की अवाज बन गए हैं, तो आप पत्रकार हैं.’

इस पुरस्कार को पाने के बाद रवीश कुमार अब ऐसे छठे पत्रकार हैं जिनको यह पुरस्कार मिला है. इससे पहले अमिताभ चौधरी (1961), बीजी वर्गीज (1975), अरुण शौरी (1982), आरके लक्ष्मण (1984), पी. साईंनाथ (2007) को यह पुरस्कार मिल चुका है. इन पत्रकारों के अलवा किरण बेदी को साल 1994 में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को साल 2006 में और सोनम वांगचुक को पिछले साल 2018 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गाय है.

आज देश में मीडिया और पत्रकारों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, ज़्यादातर मीडिया पत्रकारिता के नाम पर सिर्फ सरकार और सत्ता की चापलूसी कर रही है. यही नहीं टीआरपी और विज्ञापन पाने की होड़ में टीवी चैनलों, अख़बारों और पत्रकारों ने पत्रकारिता के परिभाषा को हीं बदल दिया है. अब TV चैनेलों पर ख़बरें अपनी महत्वता के हिसाब से नहीं बल्कि टीआरपी और विज्ञापन देने वालों की सहूलियत के हिसाब से चलती है. कुछ टीवी चैनलों और ऐंकरों में जैसे सत्ता और सरकार के क़रीबी बनने की प्रतिस्पर्धा से हो रही है.

जिन पत्रकारों को सरकार से हर बात पर सवाल करनी चाहिए उन्ही पत्रकारों को आप हर दिन TV पर सरकार का बचाव करते देख सकते हैं. गोदी मीडिया के इस दौर में रवीश कुमार ने अपने टीवी कार्यक्रम प्राइम टाइम और रवीश की रिपोर्ट के माध्यम से वैसे मुद्दों को उठाते रहे हैं जो आम आदमी से जुड़े हैं. रवीश ने अपने कार्यक्रम के माध्यम से देश भर के स्कूलों, कॉलेजों, सड़कों की ख़स्ता वेवस्था और विभिन्न सरकारी विभागों में कर्मचारियों की परेशानियों से लेकर बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को लगातार दिखाया जिसे सभी ने ख़ूब सराहा.

लोगों ने गालियाँ दी, देशद्रोही बोला और यहाँ तक जान से मरने की धमकियाँ तक दी गई लेकिन रवीश आगे बढ़ते रहे अपनी रिपोर्टिंग करते रहे. 12 वर्ष के बाद किसी भारतीय पत्रकार को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है, ये देश के लिए सम्मान की बात है, और ये कहीं कहीं ये साबित करने के लिए काफ़ी है की रवीश कुमार की पत्रकारिता सही हैं और उन्हें गालियाँ और धमकियाँ देने वाले ग़लत. हम इंडीन्यूज़ की ओर रविश कुमार को बधाई देते हैं.

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रविश कुमार को इस मौक़े पर तमाम लोगों ने शुभकामनाएँ दी.