लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. लेकिन कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उसे अस्वीकार कर दिया गया है. वहीँ कांग्रेस प्रवक्ता ने रणदीप सुरजेवाला ने राहुल की ओर से इस्तीफा पेशकश करने की खबरों को नकार दिया है.
सीडब्ल्यूसी के 23 सदस्यों में हाल ही में हुए चुनाव में सिर्फ चार लोग- पार्टी प्रमुख राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, गौरव गोगोई और ए. चेल्ला कुमार ही जीते हैं. लोकसभा चुनाव में हारने वाले 12 अन्य सदस्यों में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रघुवीर सिंह मीना, जितिन प्रसाद, दीपेंदर हुड्डा, सुष्मिता देव, के.एच. मुनियप्पा और अरुण यादव हैं.
इस्तीफे का यह ड्रामा का लगभग सभी लोगों ने पहले ही अनुमान लगा लिया था यह 5 साल पहले की पटकथा की पुर्नावृति थी जब सोनिया गाँधी ने 2014 में इतिहास के सबसे बड़ी हार के बाद यही किया था. जो शायद कांग्रेस के हुआ तो हुआ वाले मानसिकता को दर्शाता है.
इस चुनाव में लगभग सभी राजनैतिक वंश के वारिशों की हार हुई है जिसकी सूचि लंबी है, यह राहुल से शुरू होकर सिंधिया के रास्ते गहलोत से लेकर हुड्डा बाप बेटे तक जाती है. गौर करने वाली एक और बात यह भी है कि कांग्रेस के 11 पूर्व मुख्यमंत्री भी अपना चुनाव हारे हैं. इतनी बड़ी हर के बाद किसी की जिम्मदारी तो तय होनी चाहिए थी लेकिन कांग्रेस का संगठन गाँधी परिवार से शुरू होकर वही सिमट जाती है. कांग्रेस में वंशवाद इस कदर हावी है की वो यदि कोई विकल्प भी सोचते है तो वह परिवार के अंदर तक ही सोच पाते हैं जो लोकतान्त्रिक व्यवस्था का सबसे बड़ा मजाक है साथ ही कांग्रेस के लाखों कार्यकताओं के अथक परिश्रम का भी अपमान है.
गाँधी परिवार के वफादार में आने वाले रामचंद्र गुहा भी राहुल के इस्तीफे की मांग करने वालों में शामिल होए गये और कहा “हैरान हूं कि अब तक इस्तीफा नहीं दिया”.
It is astonishing that Rahul Gandhi has not yet resigned as Congress President. His party performed very poorly; he lost his own pocket borough. Both self-respect, as well as political pragmatism, demand that the Congress elect a new leader. But perhaps the Congress has neither.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) May 24, 2019
कांग्रेस वर्किंग कमेटी जुटे तो थे हार का मंथन करने लेकिन बैठक में ज्यादा समय कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपनी सत्ता को बचाए रखने पर चर्चा हुई.