यूपी में गरौठा (झांसी) से भाजपा के विधायक हैं जवाहर राजपूत, शायद आपने ने विधायक जी का नाम नहीं सुना होगा, उत्तर प्रदेश में 400 से अधिक विधायक है अब सभी विधायक बीजेपी के उन्नाव वाले कुलदीप सिंघ जैसे नमीं तो हो नहीं सकते लेकिन आख़िर फिर हैं तो विधायक हीं वो भी सत्ताधारी पार्टी के इसलिए टशन होना तो लाज़मी है. हो सकता है भाजपा विधायक जवाहर राजपूत को अपने पार्टी के सत्ता में होने का टशन नहीं भी हो लेकिन उनके बेटे को तो है तभी विधायक के बेटे ने झांसी में रविवार की देर रात एक पुलिस अधिकारी को कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया.
जवाहर राजपूत के बेटे राहुल राजपूत पर आरोप है उसने एक पुलिस अधिकारी (स्टेशन हाउस ऑफिसर – SHO) को गाड़ी के पेपर्स मांगने पर थप्पर जड़ दिया. राहुल राजपूत बिना नंबर की कार में सफर कर रहा था जब रूटीन जाँच के दौरान यूपी पोलिस के अधिकारी ना रजिस्ट्रेशन पेपर्स माँगा तो विधायक का बेटा उग्र हो गया हो वहाँ मौजूद अधिकारी से हाथापाई कर लिया. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), झांसी, ओपी सिंह ने कहा कि घटना की जांच का आदेश दिया गया है.
इस मामले से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि भाजपा विधायक के बेटे को रूटीन चेकिंग अभियान के दौरान गुरसराय इलाके में मोदी चौराहे के पास रोका गया. उन्होंने कहा, “राहुल की कार की नंबर प्लेट में पंजीकरण संख्या नहीं थी, एक पुलिस अधिकारी (स्टेशन हाउस ऑफिसर) ने उसे कागजात दिखाने के लिए कहा, जिस पर राहुल उग्र हो गया. उसने बार-बार कहा कि वह एक विधायक के बेटा है और इस कार्रवाई की पुलिस को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. ” पुलिस ने आगे कहा, “जब अधिकारी ने राहुल की बात नहीं मानी, तो राहुल ने उसे थप्पड़ मार दिया. जिसके बाद राहुल को हिरासत में ले लिया गया और उसे पुलिस स्टेशन लाया गया.”
इस घटना की जानकारी मिलते हीं विधायक अपने समर्थकों के साथ पुलिस स्टेशन पहुँच गए और पुलिस पर हीं अपने बेटे राहुल की पिटाई का आरोप लगा दिया. यही नहीं विधायक ने अपने बेटे को परेशान करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. एसएसपी ने कहा कि झांसी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विधायक की शिकायत और घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं.
अब देखना है की यूपी पोलिस इस मामले का समय से जाँच कर अपने अधिकारियों को इंसाफ दिला पाती है या नहीं. लेकिन ऐसी घटना चाहे किसी भी पार्टी का कोई भी नेता या नेता का रिस्तेदार क्यों ना करे उसे सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए, पोलिस अधिकारी को जिले के परिवहन विभाग से बात कर ऐसे लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल करवा देना चाहिए.