सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने बुधवार को फ़ैसला दिया कि बाग़ी 15 विधायकों को सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.
Mukul Rohatgi, representing Karnataka rebel MLAs in SC: In view of Trust Vote kept for tomorrow, SC has said two important things- 15 MLAs will not be compelled to attend the House tomorrow. All 15 MLAs are given the liberty that may or may not go to the House tomorrow. pic.twitter.com/iPmIysJ1KL
— ANI (@ANI) July 17, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 15 विधायकों के सदन में जाने और व्हिप को मानने को लेकर कोई दबाव नहीं है. अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को यह छूट है कि वह नियमों के मुताबिक़ अपना निर्णय दें, चाहे वो इस्तीफ़ा हो या फिर अयोग्यता. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को इस मुद्दे पर निर्धारित समय-सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
Supreme Court says, "Karnataka MLAs not compelled to participate in the trust vote tomorrow." https://t.co/qSfPf8oQ2x
— ANI (@ANI) July 17, 2019
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा, “अब सरकार का गिरना तय है क्योंकि उनके पास संख्या बल नहीं है.”
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करता हूं. मैं संविधान में दिये गये अधिकारों के तहत ही काम करूंगा.”
14 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार को विधानसभा में 117 विधायकों का समर्थन है. इसमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37, बसपा के एक और एक मनोनीत विधायक शामिल हैं. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष का भी एक मत है. दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी बीजेपी को 107 विधायकों का समर्थन हासिल है.
अब अगर ये 15 बाग़ी विधायक गुरुवार को विश्वासमत के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहते हैं तो 225 सदस्यीय विधानसभा में कुमारस्वामी सरकार के लिए बहुमत आंकड़ा 104 हो जायेगा लेकिन उनके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 101 हो जाएगी और ऐसे में सरकार बचा पाना आसान नहीं होने वाला है.