देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी सीबीआई में इन दिनों घमासान मचा है, घमासान भी ऐसा की सीबीआई के नंबर 1 और 2 में आरोप प्रत्यारोप का दौड़ ऐसा चला की मामला दोनों अधिकारीयों के अनिवार्य छुट्टी से होकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुच गई.
दरअसल सीबीआई के निदेशक या नंबर 1 पद पर कम कर रहे अधिकारी अलोक वर्मा और नंबर 2 के अधिकारी जिसे मोदी सरकार और भाजपा अध्यक्ष अमित साह के करीबी मना जाता है के बिच आरोप और प्रत्यारोप का दौर अगस्त महीने से चल रहा था जो अब ऐसे हालात तक आ गए की सरकार ने दोनों को जाँच पूरी होने तक तत्काल छुट्टी पर भेज दिया और एम नागेश्वर राव को सीबीआई का कार्यकारी निदेशक बना दिया.
अलोक वर्मा मोदी सरकार के इस निर्णय के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्या न्याधीश ने CVC को आदेश दिया है दो हफ़्तों में सीबीआई निदेशक पर लगे आरोपों की जाँच पूरी कर 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे. फ़िलहाल 12 नवंबर तक मोदी सरकार द्वारा दोनों अधिकारीयों को छुट्टी पर भेजने का फैसला बना रहेगा और एम नागेश्वर राव बीआई के कार्यकारी निदेशक बने रहेंगे लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एम नागेश्वर राव को कोई भी बड़े या नीतिगत फैसले नहीं लेने के आदेश दिया है फ़िलहाल राव केवल रूटीन काम ही करेंगे.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस सुनवाई के बारे में बताया, “अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने जो भी फ़ैसले लिए सब बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार को रखना होगा.”
जैसा की हमने हमारे पिछले पोस्ट “मोदी सरकार ने सीबीआई में किया भारी फेरबदल रातों रात हुए अधिकारीयों के तबादले” में सीबीआई में हुए बड़े फेरबदल और एम नागेश्वर राव द्वारा सीबीआई के कार्यकारी निदेशक पद सम्हालते हिं कई अधिकारीयों के तबादले के बारे में बताया था, माननिये मुख्य न्याधीश ने सरकार और सीबीआई को उन सभी अधिकारीयों के तबादले से जूरी जानकारियों और कारणों को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है.
आज के सुनवाई की एक और प्रमुख बात ये रही की सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जाँच अब CVC अकेले नहीं बल्कि रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक के निगराणी में करेगी जिस से इस मामले में अब और भी निष्पक्ष जाँच होने की संभावना है.
सीवीसी का पक्ष रखते हुए वकील तुषार मेहता ने जाँच पूरी करने के लिए कोर्ट से तीन हफ़्ते का वक्त मांगा था लेकिन इस मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ़ की पीठ ने सीवीसी को अगली सुनवाई यानि 12 नवंबर तक हीं जाँच पूरी करने के आदेश दिए हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने रखा.
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उधर कांग्रेस, सीबीआई निदेशक को हटाने के मामले को राफेल सौदे में हुए तथाकथित 30,000 करोड़ के घोटाले से जोड़ कर देख रही है, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सुरु होने के बाद से ही कांग्रेस ने देश भर में जम कर विरोध प्रदर्शन किया और “चौकीदार चौर है” के नारे लगाये, आज के प्रदर्शन में कांग्रेस काफी आक्रामक लग रही थी जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी समेत कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं की सांकेतिक गिरफ़्तारी भी की गई.
राहुल ने कहा, “कांग्रेस पार्टी देश के चौकीदार को चोरी करने नहीं देगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 हज़ार करोड़ अनिल अंबानी की जेब में डाला है.”
लोधी रोड पुलिस थाने से निकलने के बाद राहुल गांधी ने कहा, “पीएम भाग सकते हैं, छुप सकते हैं लेकिन आखिर में सच सामने आएगा. सीबीआई डायरेक्टर को हटाने से कुछ नहीं होगा. पीएम ने सीबीआई डायरेक्टर के खिलाफ एक्शन लिया, यह घबराहट का संकेत है.”
विरोध प्रदर्शन में राहुल गांधी के समर्थन में बिहार के जाने माने नेता यादव भी सड़कों पर नजर आए.
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