ऐसे समय में जब विरोधी पार्टियाँ बार-बार ये आरोप लगा रही है की राफेल डील को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से छीन कर रिलायंस को दे दिया गया, HAL के चेयरमैन ने साफ शब्दों में कहा है की हम ओफ़्सेट बिज़नेस में नही हैं. जिसके चलते HAL ओफ्फसेट प्रोजेक्ट में सम्मलित नहीं हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा है की HAL का मुख्य काम मैन्युफैक्चरिंग का है ना की पार्ट्स बनाने का. यह इंटरव्यू उन्होंने इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिया है.
इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया की “एक आरोप लगाया जा रहा है कि एचएएल(HAL) राफेल सौदे से हजारों करोड़ों रुपये के ऑफसेट अनुबंध से वंचित हो गया जो एक निजी कंपनी के पास गया”.
उत्तर- हम ऑफ़सेट व्यवसाय में नहीं हैं. हम विमान के निर्माण में हैं. प्रौद्योगिकी और उत्पादन का स्थानांतरण ऑफसेट से अलग है. हालांकि ऑफसेट का कुछ हिस्सा एचएएल (विभिन्न कार्यक्रमों में) में आ सकता है, हम मूल रूप से ऑफ़सेट पार्टनर नहीं हैं. वास्तव में, हम ऑफसेट में कभी सम्मलित नहीं थे. हमारी ऐसी कोई योजना योजना नहीं बनाते हैं की एक विदेशी नागरिक जेट के पार्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग करें। हमारा मुख्य व्यवसाय विनिर्माण है.
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उनका इसरा शायद Dassault Reliance Aerospace Limited (DRAL) के तरफ था जहाँ ऑफ़सेट कॉन्ट्रैक्ट के तहत Falcon 2000 के कुछ कंपोनेंट्स को बनया जाना है. जिसका उल्लेख Dassault के वेबसाइट पर भी मिलता है.
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