चंडीगढ़ मेयर चुनाव में CCTV कैमरे के सामने धांधली होती रही और देश देखता रह गया, इस छोटे से चुनाव ने भाजपा के साथ-साथ मीडिया का भी वो चेहरा दिखाया जो लोगों को पता तो था लेकिन अभी तक पूरी तरह बेनकाब नहीं हुआ था. चंडीगढ़ मेयर चुनाव ने दिखाया कि किस तरह भाजपा द्वारा एक स्क्रिप्ट बनाया जाता है, स्क्रिप्ट के अनुसार कुछ ऐसे किरदार चुने जाते हैं जिसे नियम-क़ायदा और क़ानून की कोई खास समझ नहीं हो; इस प्रकार के धांधली के लिए खास कर ऐसे बेपरवाह लोगों को ही चुना जाता है जिसे कल को कोर्ट ने पद से हटा भी दिया तो इन्हें फरक नहीं परता की देश भर में फ़ज़ीहत होगी.
क्या ऐसे हीं भाजपा के दो लोगों को चुना गया इस धांधली के लिए? एक को पीठासीन पदाधिकारी बनाया गया और दूसरे को मेयर. बाक़ी झूठ को सच साबित करने के भारत की महान मीडिया तो पहले से स्लाइड बना के रेडी थी, जैसे ही भाजपा के लोगों ने मनोज को पकड़-धकड़ के मेयर के कुर्सी पर बैठाया सभी नैशनल मीडिया में स्लाइड चलना शुरू हो गया की भाजपा ने INDIA या उनकी भाषा में बोले तो इंडी गठबंधन की ये पहली हार है. भाजपा ने INDIA गठबंधन को हरा दिया, इन सभी स्लाइड और ऐसे न्यूज़ टिकर के बीच किसी भी मीडिया ने ये बताना जरुरी नहीं समझा की एक बार पार्षदों की संख्या भी बता दे या CCTV विडीओ दिखा दे, या एक नया स्लाइड ही दिखा दे की कैसे गैर क़ानूनी और अनैतिक तरीक़े से विपक्षी के 8 वोटों को अवैध कर दिया गया. यहाँ तक कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के प्रेस कोन्फ़्रेन्स में दिखाए गए CCTV विडियो को भी नहीं दिखाया गया, भगवंत मान को तो आजतक जैसी मीडिया दिखा रही थी लेकिन धांधली की विडियो को नहीं दिखाया जा रहा था, शायद इसलिए क्योंकि ये विडियो दिखाना शायद मीडिया के सुप्रीम कमांडर के लिए असहज हो जाता.
अब पहले आप वो विडियो देखें जो गोदी मीडिया ने अपने YouTube चैनल पर डाला है, इन सभी विडियो में भगवंत मान को तो दिखाया जा रहा है लेकिन भगवंत मान सबूत के तौर पर जो CCTV विडियो दिखा रहे वो नहीं दिखाया जा रहा, शायद धांधली के आरोप वाले विडियो दिखाने से इनके आका की असलियत सामने आ जाती. देखें ANI ने कैसे 40 मिनट से अधिक के विडियो में जो सबसे जरुरी फूटेज है उसे नहीं दिखा रही, जनता को यही समझना है की मीडिया में क्या चल रहा, मीडिया जो दिखा रही है उससे अधिक जरुरी ये जानना है की क्या नहीं दिखा रही है.
ये रहा आजतक का विडियो, विडियो के 2:10 पर जैसे ही भगवंत मान ने पीठासीन (इत्तेफ़ाक से भाजपा के पदाधिकारी भी है) को दिखाना शुरू किया जैसे हीं धांधली के आरोप वाले विडियो को दिखाना शुरू की आजतक बड़ी चालाकी से ये तो दिखा रहे की भगवंत मान कुछ फूटेज दिखा रहे लेकिन आजतक ये नहीं दिखा रहा की किस बारे में और कौन सी विडियो की बात हो रही है. ऐसे सच छुपाया जाता है, ऐसे जनता को अधूरी जानकारी दी जाती है, इसलिए अगर खबर को समझना है तो ये जानना अधिक ज़रूरी है की मीडिया क्या नहीं दिखा रही. और अब वो समय नहीं रहा की पूरी खबर आपतक पहुँचे, अगर जानना है तो आपको असली और पूरी खबर तक पहुँचना होगा, जनता को मेहनत करनी होगी पूरी खबर तक पहुँचने के लिए.
अब वो विडियो देखें जो मीडिया में नहीं दिखाया जा रहा है, इस विडियो को देखने के बाद ठीक अंदाज़ा लग जा रहा है की कैसे एक ही पार्टी के 20 में से 8 वोट अवैध हो गाए.
कुछ गिने चुने मीडिया ने हिम्मत की उस CCTV को दिखाने की जिसमें साफ़ दिख रहा है की भाजपा पदाधिकारी और तत्कालीन पीठासीन अधिकारी कैसे कुछ वोटों पर हस्ताक्षर के पहले टिक लगा रहा है.
INDIA गठबंधन ने चुनाव में धांधली के खिलाफ चंडीगढ़ हाई कोर्ट गए जिसके बाद कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से तीन हफ़्ते में इसपर रिपोर्ट माँगी है. कोर्ट के आदेश से हो रहे ऐसे संवेदनशील चुनाव में जहां CCTV में साफ़ साफ़ दिख रहा है भाजपा के लोगों ने किस तरह से चुनाव के नियमों की धज्जियाँ उड़ाई है, उम्मीद है कि कम से कम इस तरह के मामले में कोर्ट जल्द और शक्त कार्रवाई करेगी, क्योंकि भारतीय अदालत ही है जिससे न्याय और व्यवस्था को बचाने की उम्मीद बची है.
हालाँकि अब पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बुधवार को एलान किया है कि इस मामले में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाएगी, उन्होंने यह भी कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव लोकतंत्र की हत्या का उदाहरण है. सीएम भगवंत मान ने कहा कि कल बजट आ रहा है. देखते हैं पंजाब को क्या मिलता है? चंडीगढ़ मेयर चुनाव परिणाम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
LiveHindustan के अनुसार, चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं. चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर भी इन चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस तरह से कुल 36 मतदाताओं ने इस चुनाव में वोट डाले. सदन में भाजपा के 14 पार्षद, आप के 13 तो कांग्रेस के सात पार्षद हैं. हरदीप सिंह शिरोमणि अकाली दल के एक मात्र पार्षद हैं. सदन में संख्या बल के लिहाज से भाजपा के पक्ष में 15 और इंडिया गठबंधन के पक्ष में 20 वोट थे. इंडिया गठबंधन के 20 पार्षदों में से सिर्फ 12 के वोट मान्य करार दिए गए. उनके आठ के वोट अमान्य हो गए. इस तरह से संख्या बल में बहुमत से कम होने के बाद भी भाजपा ने चुनाव जीत लिया.