
अमेरिका ने रविवार को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों, फोर्डो, नटांज और इस्फहान, पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए. इस सैन्य कार्रवाई, जिसे “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया, में 125 अमेरिकी सैन्य विमानों, जिनमें सात बी-2 स्टील्थ बॉम्बर शामिल थे, ने हिस्सा लिया। अमेरिका ने 30,000 पाउंड के जीबीयू-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी), जिन्हें “बंकर बस्टर” बम कहा जाता है, का इस्तेमाल किया, विशेष रूप से फोर्डो की गहरी भूमिगत सुविधा को निशाना बनाने के लिए. इसके अलावा, अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बियों ने नटांज और इस्फहान पर 30 से अधिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस हमले को “शानदार सफलता” करार देते हुए दावा किया कि ये परमाणु सुविधाएं “पूरी तरह से नष्ट” हो गई हैं। हालांकि, पेंटागन ने कहा कि नुकसान की पूरी स्थिति और ईरान की शेष परमाणु क्षमता का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। सैटेलाइट तस्वीरों में फोर्डो में कम से कम छह प्रभाव गड्ढे दिखाई दिए, जो बड़े पैमाने पर हमले की पुष्टि करते हैं.
इजरायल के साथ समन्वय:
यह हमला इजरायल के साथ मिलकर किया गया, जो 13 जून 2025 से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर संघर्ष में शामिल है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी कार्रवाई की सराहना की. अमेरिका का उद्देश्य ईरान के यूरेनियम संवर्धन को बाधित करना था, विशेष रूप से फोर्डो में, जो अपनी भूमिगत स्थिति और हथियार-ग्रेड यूरेनियम संवर्धन के लिए जाना जाता है. ईरान के राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा केंद्र और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने हमले के बाद विकिरण स्तर में कोई वृद्धि नहीं होने की सूचना दी, जिससे तत्काल रेडियोधर्मी रिसाव की आशंका नहीं है.
ईरान का जवाब:
हमले के जवाब में, ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें तेल अवीव, हाइफा और बेर्शेबा जैसे शहरों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में कम से कम 20 लोग घायल हुए. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिकी हमलों की निंदा करते हुए इसे “अपमानजनक” बताया और “स्थायी परिणाम” की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कूटनीति कोई विकल्प नहीं है. ईरान ने आत्मरक्षा का वादा किया है, हालांकि उसकी मिसाइल भंडार में कमी और हिजबुल्लाह जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों की कमजोरी के कारण उसके जवाबी हमले की क्षमता सीमित है. ट्रम्प ने चेतावनी दी कि यदि ईरान जवाबी कार्रवाई करता है या शांति वार्ता में विफल रहता है, तो अमेरिका और हमले करेगा.
भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया:
भारत ने इस हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए तत्काल डी-एस्केलेशन, संवाद और कूटनीति के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा की बहाली पर जोर दिया है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारत मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करता है. हम सभी पक्षों से संयम बरतने और हिंसा से बचने का आह्वान करते हैं। संवाद और कूटनीति ही इस संकट का एकमात्र स्थायी समाधान है.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेज़ेशकियन के साथ फोन पर बात की और क्षेत्र में शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. भारत ने स्पष्ट किया कि भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग अमेरिकी हमलों के लिए नहीं किया गया, और ऐसी खबरों को “निराधार” बताया. सेवानिवृत्त मेजर जनरल ध्रुव सी. कटोच ने कहा कि भारत की स्थिति हमेशा शांति के पक्ष में रही है, और आधिकारिक बयान इस रुख को दर्शाएगा.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं:
इस हमले ने वैश्विक स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। क्यूबा जैसे कुछ लैटिन अमेरिकी देशों ने अमेरिकी कार्रवाई की निंदा की/ इस्लामिक सहयोग संगठन ने इजरायल की आक्रामकता की आलोचना की, लेकिन अमेरिकी हमलों का उल्लेख नहीं किया। अमेरिका में, इस कार्रवाई ने राजनीतिक विभाजन को गहरा किया है. कुछ डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन नेताओं ने इसे असंवैधानिक करार दिया, जबकि ट्रम्प समर्थकों ने इसका समर्थन किया. क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों पर ईरानी जवाबी हमले की आशंका भी बनी हुई है.
मानवीय चिंताएं:
ईरान में मानवीय प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. तेहरान जैसे शहरों से लोग पलायन कर रहे हैं, क्योंकि आगे और हमलों का डर है. सोशल मीडिया पर ईरानी नागरिकों ने अपने भविष्य और संभावित रेडियोधर्मी जोखिमों को लेकर चिंता जताई है, हालांकि अभी तक कोई रेडियोधर्मी संदूषण की पुष्टि नहीं हुई है. अमेरिका ने क्षेत्रीय तनाव के कारण लेबनान से गैर-आवश्यक कर्मियों और परिवारों को वापस बुलाने का आदेश दिया है.
भविष्य की अनिश्चितता:
रणनीतिक दृष्टिकोण से, यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कितना प्रभावित हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल अस्थायी रूप से बाधित हो सकता है. क्षेत्र में और अधिक तनाव और युद्ध की आशंका बनी हुई है. वैश्विक समुदाय इस स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है, क्योंकि इसके दीर्घकालिक परिणाम अभी अनिश्चित हैं.
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