चार दिन पहले इंदौर की एक घटना प्रकाश में आने के बाद मीडिया और सोशल मीडिया में छा गई, ये घटना थी BJP राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे की गुंडागर्दी की. कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर नगर निगम की अधिकारियों को क्रिकेट बैट से बुरी तरह पिटा, विडियो वाइरल होने के बाद पोलिस ने उसे गिरफ़्तार तो कर लिया लेकिन चार दिन में हीं रिहाई भी मिल गयी.
इंदौर पोलिस ने आकाश विजयवर्गीय को इस गुंडागर्दी के लिए गिरफ़्तार तो कर लिए लेकिन आगे जो परिणाम हुवा वो उसका अनुमान आसानी से लगाय जा सकता था. आकाश के खिलाफ थाना एमजी रोड में हुई धारा 353, 294, 506, 147, 148 के तहत मामला दर्ज किया गया लेकिन इंदौर पोलिस द्वारा लगाई गई ये सभी धाराएँ धारी की धरी रह गयी और सरकारी अधिकारियों को ऑन ड्यूटी सरेआम कूटने और खदेरने वाले आकाश को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
क्या इसके बाद भी ये माना जाए की क़ानून सबके लिए समान है? ये कोई पहली घटना नहीं है जब किसी नेता को पब्लिक्ली गुंडागर्दी करने के बाद भी बरी आसानी से ज़मानत दे दी जाती है. क्या आम जनता क़ानून से ऐसी उदारता की उम्मीद कर सकती है? नहीं! आमलोग तो सरकारी अधिकारियों से ऊँची आवाज़ में बात भी नहीं कर सकते, अगर कोई आम जनता मार पिट की हद तक जाती भी है तो यही अधिकारी, पोलिस और क़ानून उसके और उसके परिवार के लिए नर्क जैसी स्थिति पैदा कर देंगे. ऐसे में बस यही कहा जा सकता है की क़ानून की किताब में लिखी बातें तो सबके लिए समान है लेकिन उसे इस्तेमाल लोगों के नाम और उसके आगे पीछे के नामों को देख कर किया जाता है.
आकाश विजयवर्गीय को पता था वो क्या कर रहा है और ये शायद कोई पहली घटना नहीं होगी हाँ ये बात अलग है की विडियो पहली बार वाइरल हुवा वरना कोई FIR तक नहीं होता और जिस तरह से नगर निगम के अधिकारी बल्ला देख कर भाग रहे थे वो शायद ही कोई सिकायत कर पाते. आकाश जेल से निकलने का बाद मीडिया को बताया की वो अधिकारियों को खदेरने का मन बना कर ही गया था, आकाश को पता था वो आकाश विजयवर्गीय है देश की सबसे ताक़तवर पार्टी भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और केंद्र की सत्ता पर बैठी पार्टी के विधायक.
चाहे कैमरा के सामने आकाश विजयवर्गीय कितना भी गांधी के रास्ते पर चलने की बात कर ले लेकिन लोगों को पता है ये विधायक जी या विधायक जी के पार्टी के स्वभाव में नहीं है तभी तो उन्ही के पार्टी और राज्य में प्रज्ञा सिंह ठाकुर गांधी नहीं गोडसे को महान बताती है और पार्टी उसे सांसद तक पहुँचने का रास्ता साफ़ कर देती है. आकाश विजयवर्गीय के ज़ुबान से गांधी के पथ पर चलने की बात मज़ाक़ के अलावा कुछ नहीं है जिसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं की ज़मानत पर रिहा होते हीं आकाश विजयवर्गीय के समर्थकों ने भाजपा कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा, विजयवर्गीय के समर्थकों ने भाजपा कार्यालय के सामने 5 फायरिंग भी किया.
बेल मिलने के बाद @BJP4India @bjp4mp कार्यकर्ता इंदौर बीजेपी दफ्तर के बाहर जश्न में @ndtvindia pic.twitter.com/u3DwBmWGPD
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) June 30, 2019
सत्ता किसी भी पार्टी की हो, सरकार में कोई भी हो, पुलिस प्रसासन और क़ानून हमेशा नेताओं और नेताओं के गुंडागर्दी के सामने बौने पर जाते हैं. राज्य में कांग्रेस के कमलनाथ की सरकार है फिर भी भाजपा पार्टी के पहली बार विधायक बना वक्ति राज्य सरकार के अधिकारी को दिन दहारे पब्लिक्ली कूट दिया और प्रसासन उसे चार दिन भी अंदर नहीं रख पाई. यही नहीं, बाहर आते हीं उसके समर्थक हवा में बंदूक़ लहराते हैं और फायरिंग कर नेताजी का स्वागत करते हैं; इसके बाद कैसे मान ले की राज्य में क़ानून वेवस्था जैसी कोई चीज़ है.