कल शनिवार को नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राहुल गांधी पर जिस तरह का बयान दिया वो किसी से निजी दुश्मनी में भी नहीं दिया जाता है. नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा में राहुल गांधी पर टिप्पन्नी करते हुए कहा “आपके पिताजी को आपके रागदरबारियों ने मिस्टर क्लीन बना दिया था. गाजे बाजे के साथ मिस्टर क्लीन बना दिया था. लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनके जीवनकाल समाप्त हो गया.”
राहुल गांधी और सभी विपक्षी नेता राफेल में हुए तथाकथित घोटाले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर रहे हैं. राहुल गांधी लगभग सभी चुनावी सभा ये बोलते हैं की “चौकिदार चोर है, नरेंद्र मोदी ने 30,000 करोड़ अपने मित्र अनिल अंबानी के जेब में डाले हैं”, हालाँकि ये अभी एक आरोप मात्र है और राफेल डील में प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप को लेकर मामल कोर्ट में है. प्रधानमंत्री मोदी अपने पर लग रहे आरोपों के कारण राहुल गांधी पर हमलावर हैं.
कल हमने एक पोस्ट किया था किस प्रकार RJD के अधिकारिक हैंडल से आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की जा रही है और किस प्रकार देश सबसे बड़े TV चैनल के ऐंकर एक पूर्व मुख्यमंत्री को अपमानित करने वाले ट्वीट करते हैं.
ऐसी बयानबाज़ी करना किसी एक पार्टी या किसी एक नेता तक सीमित नहीं है बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों की लगभग यही स्थिति है, भारत की राजनीति शायद कभी इतनी निचली स्तर पर नहीं गई होगी और इस बात में कोई संशय नहीं है की इस सड़े हुए राजनीतिक माहौल के सबसे बड़े ज़िम्मेदारों में एक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. प्रधानमंत्री लोकतंत्र में बहुत बड़ा पद होता होता है लेकिन मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को दाँव पर रखते हुए विभिन्न मौक़ों पर अपने विरोधियों के प्रति ऐसे बयान दिए हैं जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा के लिए अशोभनीय है चाहे वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का DNA ख़राब वाली बात हो या राहुल गांधी और कांग्रेस पर ज़ुबानी हमला करने के चक्कर में शालीनता की सभी सीमाएँ लाँघ जाना. नरेंद्र मोदी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु को और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए कर्नाटक की भड़ी जनसभा में झूठ तक बोल गए. लेकिन, कल नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार की टिप्पन्नी देश के पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में की है वो देश की राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद ख़राब है.
क्या दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के मन में विपक्षी पार्टियों के प्रति इतनी नफ़रत है, मेरी समझ से प्रधानमंत्री पद पर बैठे नेता को विपक्षी क्या देश के किसी भी नागरिक के प्रति नफ़रत नहीं रखनी चाहिए. राजनीति में राजनीतिक मतभेद होना आम बात है लेकिन किसी को इस तरह का वक्तिगत लांछन लगाना बिलकुल अशोभनीय है, ये बस दिमाग़ी दिवालियापन को दर्शाता है चाहे वो राहुल गांधी के माता पिता के बारे में कहा गया हो मोदी की माँ के बारे में हो.
अगर प्रधानमंत्री मोदी के नज़र में राजीव गांधी इतने भ्रष्ट थे तो उनमें सीधे राजीव गांधी पर टिप्पणी करनी की हिम्मत होनी चाहिए थी, ठीक उसी प्रकार अगर भाजपा को लगता है की सोनिया गांधी ग़लत है तो सीधे सोनिया गांधी पर टिप्पन्नी करनी चाहिए लेकिन राहुल गांधी या प्रियंका गांधी पर “आपकी/तुम्हारी माँ या पिताजी” जैसे सम्बोधन के साथ टिप्पन्नी करना बेहद शर्मनाक है.
राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष हैं और राजीव गांधी देश पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जब नरेंद्र मोदी और भाजपा देश के ऐसे ताक़तवर नेताओं को इस तरह अपमानित कर सकते हैं तो हमें समझ लेना चाहिए की आम जनता की क्या औकाद रह जाती है, और अगर ज़रूरत परे तो ऐसे नेता किस स्तर तक हमें और हमारे परिवार को अपमानित कर सकते हैं.
बता दें की जिस तथाकथित बोफोर्से घोटाले की बात कांग्रेस के विरोधियों द्वारा किया जाता रहा है उसमें कोर्ट ने राजीव गांधी को भ्रष्टाचार के आऱोपों पर क्लीन चिट दे दिया था. जबकि वहीं प्रज्ञा ठाकुर पर बम धमाके जैसे संगीन आतंकी गतिविधि में शामिल होने का आरोप है अदालत में मामला चल रहा है और उसे नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा अपने टिकट से चुनाव मैदान में उतारती है. यही नहीं प्रधानमंत्री ख़ुद प्रज्ञा ठाकुर का बचाव भी करते हैं. एक आतंकी हमले के आरोपी का बचाव करना और कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद भी देश के पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान करना कहाँ तक जायज है? ये तो तभी सम्भव है जब या तो ऐसे बयान देने वाले नेताओं को देश के संविधान और कोर्ट पर भरोसा नहीं हो या अच्छे बुरे का फर्क इन नेताओं और इनके भाषण लिखने वाले कांटेंट राइटर को मालूम नहीं हो.
राहुल गांधी ने मोदी के इस बयान का जो जवाब दिया वो सराहनीय है, राहुल गांधी ने ट्विटर पा लिखे ‘मोदीजी, लड़ाई खत्म हो चुकी है. आपके कर्म आपका इंतजार कर रहे हैं. खुद के बारे में अपनी आंतरिक सोच को मेरे पिता पर थोपना भी आपको नहीं बचा पाएगा. सप्रेम और झप्पी के साथ- राहुल.’
Modi Ji,
The battle is over. Your Karma awaits you. Projecting your inner beliefs about yourself onto my father won’t protect you.
All my love and a huge hug.
Rahul
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 5, 2019
वहीं, प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर पीएम मोदी को जवाब देते हुए कहा कि ‘शहीदों के नाम पर वोट मांगकर उनकी शहादत को अपमानित करने वाले प्रधानमंत्री ने कल अपनी बेलगाम सनक में एक नेक और पाक इंसान की शहादत का निरादर किया. जवाब अमेठी की जनता देगी जिनके लिए राजीव गांधी ने अपनी जान दी. हां मोदीजी ‘यह देश धोखेबाज़ी को कभी माफ नहीं करता.’
शहीदों के नाम पर वोट माँगकर उनकी शहादत को अपमानित करने वाले प्रधानमंत्री ने कल अपनी बेलगाम सनक में एक नेक और पाक इंसान की शहादत का निरादर किया। जवाब अमेठी की जनता देगी जिनके लिए राजीव गांधी ने अपनी जान दी। हाँ मोदीजी ‘यह देश धोकेबाज़ी को कभी माफ नहीं करता’।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 5, 2019
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रति ऐसी अपमानजनक टिप्पन्नी को में वक्तिगत तौर पर बेहद दुखद और शर्मनाक मानता हूँ, अगर मोदी को लगता है की स्वर्गीय राजीव गांधी ने ग़लत किया है तो सीधा उनका नाम लेके बोला जा सकता था परंतु किसी वक्ति को उसके पिता का सम्बोधन कर ऐसी तर्कहीन बात करता बेहद दुखद और शर्मनाक है. इस तरह का बयान लोगों के प्रति नेताओं की सोच तथा शिक्षा का स्तर, भाषा, और संस्कार को दर्शाता है.
मैंने जवाहर नवोदय विद्यालय से अपनी पढ़ाई की है, नवोदय विद्यालय ने मेरे जैसे बहुत से ग्रामीण इलाक़ों के बच्चों को अच्छी शिक्षा और सुविधावों के साथ पढ़ने का मौक़ा दिया है जो की आदरणीय राजीव गांधी सरकार की देन है. देश भर में लगभग 600 नवोदय विद्यालय हैं जिसमें क़रीब 12 लाख बच्चे पढ़ते हैं इनमे ज़्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे होते हैं. नवोदय विद्यालय के बच्चे परीक्षा परिणाम से लेकर देश के सभी विभागों में बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं. लेकिन मोदी सरकार ने पहले से हीं राजनीतिक तौर पर उपेक्षित देश की शिक्षा वेवस्था को और भी चौपट कर दिया है, शायद शिक्षा वेवस्था कभी मोदी सरकार की प्रथमिता नहीं रही वरना चुनाव में हारे 12वीं तक पढ़ी एक टीवी सीरीयल के कलाकार को नरेंद्र मोदी देश के शिक्षा मंत्री नहीं बनाते. देश में उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थान का फ़ंड काट दिया गया और जो निजी संस्थान पेपर पर भी ठीक से नहीं बना उसे Institute of Eminence बनने का प्रयास किया गया.
भाजपा के नेता सभी जनसभा में कहते हैं उनकी जीत पक्की है, लोगों ने अपना मन बना लिया है, अगर जीत पक्की है तो फिर क्यों देश में ऐसी बयानबाज़ी हो रही है जिससे किसी का अपमान हो. कहीं भाजपा के लोग तरह तरह के हथकंडे इसलिए तो नहीं अपना रहे क्योंकि कुछ अच्छा बोलने और बताने के लिए पीएम मोदी और भाजपा के पास है हि नहीं. अगर नरेंद्र मोदी ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में बहुत काम किया है तो वो उनकी चर्चा चुनाव सभा में क्यों नहीं करते? नोटबंदी के बाद छोटे बाज़ारों और ग्रामीण क्षेत्रों के कारोबार का कबाड़ा हो गया, नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने रो रो कर जनता को तरह तरह के सपने दिखाया जैसे की नोटबंदी से कला धन वापस आएगा, आतंकवादी घटना बंद हो जाएगा, और नक्सली फ़ंडिंग बंद होगी इत्यादि लेकिन जो हुवा वो सबको पता है; RBI के अनुसार, नोटबंदी में 500 और 1000 के 99.3 प्रतिशत नोट वापस आ गए, लाखों लोगों ने अपनी नौकरियाँ खो दी, ATM के लाइन में लोग मरे, देश में बेरोज़गारी दर 45 साल में सबसे अधिक है, और आतंकी और नक्सली हमले जस के तस है, ये बात अलग है की PM मोदी कान बंद करके बम धमाके नहीं सुनने की ऐक्टिंग कर रहे, लेकिन ऐसा तो नहीं है की मोदी जी के कान बंद कर लेने से बम धमाके बाक़ी लोगों नहीं सुनाई दे रहा हो.
इंटेलिजेंस की चेतावनी के बाद भी पुलवामा में CRPF के काफिले पर हमला होता है जिसमें 40 जवानों की जानें जाती है, लेकिन सरकार और प्रशासन के तरफ़ से किसी ने देश की रक्षा करने वाले जवानों की सुरक्षा में हुए चूक की बात तक नहीं की और ना हीं किसी पत्रकार ने मोदी से ये सवाल पूछने का हिम्मत दिखाया. जिन जवानों के नाम पर PM Modi वोट माँग रहे अगर सरकार इंटेलिजेंस रिपोर्ट पर सरकार उचित कार्रवाई करती तो शायद वो जवान आज भी जीवित होते, हाँ ये बात अलग है की फिर सत्तारूढ़ पार्टी इन शाहिद जवानों के नाम पर वोट नहीं माँगा पाती.