दशकों से लोग देखते रहे हैं दंगों के तार हमेशा किसी ना किसी तरह रजनीति या नेताओं से जुड़े होते हैं. कोई आम जनता दंगे नहीं चाहती, लोग रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास चाहती है लेकिन कुछ नेताओं की सुई अब भी दंगे पर अटकी है. दिल्ली में जो हुआ उससे आम लोगों का सिर्फ़ नुक़सान हुआ है, किसी का कुछ फ़ायदा नहीं हुआ और दुनिया भर में दिल्ली और देश की बदनामी हुई सो अलग.
जहाँ कुछ लोग देश में चल रही नफ़रत की रजनीति से प्रेरित होकर दंगे कर रहे थे वहीं दूसरी ओर थी दिल्ली की आम जनता जो एक जुट होकर जाती-धर्म को भुला दिल्ली में हुई हिंसा के बीच एक दूसरे की मदद कर रहे. लेकिन नेताओं के बयान थम नहीं रहे. भारतीय जनता पार्टी अपने नेताओं के उपद्रवी बयान को लेकर चारो ओर से घिरी हुई है; अब हरियाणा सरकार के एक मंत्री रणजीत चौटाला के बयान आया है, मंत्री जी कहीं से भी दिल्ली के हालात से परेशान नहीं हैं, उनका कहना है कि दंगे तो होते रहते हैं, पहले होते रहे हैं, ऐसा नहीं है… जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तो पूरी दिल्ली जलती रही.. ये तो जिंदगी का हिस्सा है… जो होते रहते हैं… उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस मामले में मुस्तैदी से कंट्रोल रही है. यह दिल्ली का मामला है और ज्यूडीशियल मामला है इस पर कुछ नहीं चाहता हूं.
#WATCH Haryana Minister Ranjit Chautala on #DelhiViolence: Dange toh hote rahe hain. Pehle bhi hote rahe hain, aisa nahi hai. Jab Indira Gandhi ka assassination hua, toh puri Delhi jalti rahi. Yeh toh part of life hai, jo hote rehte hain. pic.twitter.com/b2zeJRbfmp
— ANI (@ANI) February 27, 2020
हो सकता है चौटाला के सोच और विचारधारा के लिए दंगे आम बात हों लेकिन जिन लोगों ने दिल्ली के कई हिस्सों (नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के जाफाराबाद, गोकुलपुरी, मौजपुर, सीलमपुर) में हुए दंगे में अपनी जाने गँवाई हैं, जिनका नुक़सान हुवा है या जो लोग घायल है उनके लिए आम बात एकदम नहीं होगी. चौटाला को जो दंगे आम बात लगते हैं उन्ही दंगों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा घायल हैं.
अब तो कांग्रेस की ओर से भी विरोध और आपत्ति जताने का रिवाज निभाया जा चुका है. पार्टी की ओर से अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति जताते हुए राष्ट्रपति कोविंद को ज्ञापन सौंपा. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके ‘राजधर्म’ की रक्षा करें. मनमोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति से मिलकर पिछले चार दिनों दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उस पर चिंता जताई है और यह शर्म की बात है कि 34 लोगों की मौत और 200 लोग घायल हो गए हैं. ये बताता है कि सरकार किस तरह से असफल हो गई है.