अभी गली गलौज और अभद्र टिप्पणियों का मामला थमा नही था की नई घटना सामने आ गयी. इस बार यह कम कोई पत्रकार या किसी ट्रोल अकाउंट से नहीं बल्कि बिहार की सबसे बड़ी पार्टी के ऑफिसियल अकाउंट से किसी महिला के ऊपर आपत्तिजनक टिपण्णी की गयी.
Entire फ़र्ज़ी डिग्रीधारी गुजराती बतोलेबाज़ नाराज़ फूफा को मनाने के लिए क्या-क्या जुगत लगा रही है? फूफा घर मिठाई लेकर नहीं आया क्या? https://t.co/vJYU4Gh1W9
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 4, 2019
दरअसल हुआ कुछ ऐसे की शुभ्रस्था जो राइट विंग से प्रभावित है और कई मौकों पर बीजेपी का पक्ष रखती रही है ने राबड़ी देवी के शिक्षा को लेकर घेरते हुए अप्पतिजनक टिप्पन्नी करते हुए लिखा “कितने अच्छे दिन चाहिये @RabriDeviRJD जी? सचिवालय को शौचालय बोलने वाली निरक्षर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री आज हिंदी में प्रधानमंत्री @narendramodi को लिखकर गाली दे रही हैं! दम है तो खुलेआम एक वर्तनी टेस्ट लेकर निरक्षरता से साक्षरता की अपनी यात्रा बताइए। या ये ट्वीट प्रायोजित है?”
शुभ्रस्था रबरी देवी के द्वारा प्रधानमंत्री के ऊपर किये लीची खाने वाले बयान का जबाव दे रही थी जिसमें बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा था “प्रधानमंत्री कि लीची कैसे खाते है? काटकर, चूसकर या वाश-बेसिन पर खड़ा होकर?”.
यह वही ट्विट है जिसको लेकर 2 दिन पहले आजतक के संपादक निशांत चतुर्वेदी निशाने पर आये थे और जिसके लिए चतुर्वेदी ने बाद में माफी भी माँगा. हमने इसको लेकर भी पोस्ट लिखा था.
दरअसल निशांत चतुर्वेदी के घटिया बयान के बाद सोशल मीडिया में राबड़ी देवी को व्यापक समर्थन मिला और यही कारण था की शाम होते होते आजतक के सम्पादक ने माफ़ी मांग ली.
निशांत चतुर्वेदी ने ना बस राबड़ी देवी बल्कि किसी भी महिला के लिए ऐसी टिप्पन्नी करना पूरी तरह ग़लत है ख़ासकर तब जब वे देश की बड़ी मीडिया कम्पनी में सम्पादक हों. लेकिन राजद के अधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जो जवाब दिया गया वो और भी ख़राब है.
अरे चाट यूर्वेदी, इतना ब्राह्मणवादी घृणा कहाँ से लाते हो?
तुम्हारे पप्पा मोदी खुद ट्वीट करते हैं? बेडरूम तक आना जाना है?
जानते हो ट्विटर हमें कौन सी खुशी सबसे ज्यादा देता है?
जब हमारे शब्दों से तुम ब्राह्मणवादियों, सवर्णवादियों के छाती पर तिलमिलाहट से साँप लोटता है ना, वही!😊 https://t.co/GlWVzzmJWv— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 2, 2019
ऐसे अभद्र टिप्पन्नी करने से अच्छा होता राजद अदालत जाती और एक पूर्व महिला मुख्यमंत्री के लिए ऐसी बयानबाज़ी के लिए निशांत चतुर्वेदी पर मुकदम करती. राजद को समझना होगा की अगर वो ऐसी भाषा के प्रयोग करते हैं तो आपमें और निशांत चतुर्वेदी में क्या अंतर रह जाएगी.
तेजस्वी यादव और संजय यादव जो आजकल तेजस्वी के सलाहकार के तौर पर देखे जा रहे हैं ने इसे महिला के सम्मान से जोड़ते हुए इसे दुर्भाग्य पूर्ण बातया था जो सही भी था. लोकतंत्र में एक मात्र योग्यता जनता की समर्थन होती है जिसके सहारे राबड़ी मुख्यमंत्री बन पाई थी.
कोई नहीं निशान्त जी,आपकी माता जी यानि हमारी भी आदरणीय एवं सम्माननीय माता श्री तीन बार नहीं एक बार भी ट्विटर बोलती होंगी या नहीं बोलती होंगी लेकिन फिर भी हमारे लिए उतनी ही सम्माननीय रहेंगी। थोड़ा ऊँचा सोचिए ताकि @aroonpurie जी Funny Videos दिखाने की बजाय आपको कुछ डिबेट शो दे सके । https://t.co/cvpG0Ph6Bg
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 2, 2019
जो संविधान राबड़ी देवी को सम्मान पूर्वक मुख्यमंत्री बनने का अधिकार देता है वही संविधान दुसरे भारतीय को सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार देता है. यदि राबड़ी देवी एक महिला और माँ हैं किसी की तो उसी तरह दूसरी महिलायें किसी की माँ, बहन और बेटी है.
राजद के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ऐसी प्रतिक्रिया और पार्टी के दोहरे रवैये के जैसा है, जिसे ऐसा दिखता है कि ईमान बस अपनों के लिए जगता है जो की दुर्भायपूर्ण है. खासकर तब जब पार्टी की कमान युवा ब्रिगेड के हाथों में है जो हर सार्वजनकि मंच से नारी सम्मान और सामाजिक समरसता का बात करते नज़र आते हैं. राजनीति में इस तरह बयानों का स्तर दिनों दिन नीचे गिरना एक ख़राब संकेत है ख़ास कर तब जब देश के युवा समेत ज़्यादातर नागरिक राजनीति के प्रति जागरूक हो रहे हैं और राजनीति में अपनी दिलचस्पी ले रहे हैं. नेताओं और राजनीतिक पार्टियों को ये प्रयास करना चाहिए की देश की राजनीति में दिलचस्पी लेने वाले लोगों को एक अच्छा माहौल एक अच्छा वातावरण दें जिससे की लोगों का राजनीति के प्रति सही सोच बने और सही दिशा में सोचें.