अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने गाँधी परिवार के स्वामित्व वाले समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड के खिलाफ 5000 करोड़ रुपये के मानहानि का मुकदमा दायर किया है। रिलायंस ने दायर मुक़दमे में लिखा है की समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड ने राफेल सौदे को लेकर समूह के ऊपर अपमान जनक, फ़र्ज़ी एवं आधारहीन लेख प्रकाशित किया है | यह पहला मौका नही है जब नेशनल हेराल्ड की गूँज अदालतों में सुनाई देगी, यदि आपको याद हो तो इसी जुड़े एक मुक़दमे में कांग्रेस अध्यक्ष को जेल की हवा खानी पड़ी थी |
रिलायंस डिफेंस, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने नेशनल हेराल्ड के पब्लिशर, एडिटर इंचार्ज जफर आगा और लेख के लेखक विश्वदीपक के खिलाफ दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर कराया है। जिस लेख के लिए ये मुकदमा दायर किया गया है उसे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें जो की 28 जुलाई को प्रकाशित किया गया था |
यह एक अकेला लेख नही है जिसके माध्यम से काँग्रेसी समाचार पत्र ने रिलायंस समूह के खिलाफ हमला किया है | पिछले एक महीने से समाचार पत्र ने हर दिन कुछ ना कुछ लिखा है जिसमे सौदे को लेकर सवाल कड़े किये गये और उसमें भी रिलायंस समूह को खास तौर निशाने पर लिया है | ऐसे सभी लेखों के एक नज़र देखने के लिए यहाँ क्लिक करें | आप समाचार पत्र के सभी लेखों को पढेंगे तो यही लगेगा की राहुल गाँधी ने संसद मे और उनके स्वामित्व वाले समाचार पत्र बाहर मोर्चा संभल रखा था | पहले तो लेख के शीर्षक मे कहा गया था की कंपनी का गठन 10 दिन पहले ही हुआ था लेकिन 3 दिन बाद गलती का अहसास होने पर 12 दिन कर दिया गया |
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ऐसे 10-12 दिन कोई मुद्दा नही होना चाहिए क्योंकि इस तरह के आक्रामक लेखन के समय जुमलेबाजी के लिहाज से 10 ज्यादा सटीक बैठता है और जुमलेबाजी सुनकर आपको और कुछ दिमाग में आया होगा, उसकी बात फिर कभी करेंगे |
मुकदमा शुक्रवार को दायर किया गया है जिसमे कहा गया है की कॉंग्रेस के नेताओं और नेशनल हेराल्ड ने आधारहीन आरोप लगाये है जिससे रिलायंस समूह के इमेज को गहरा छक्का लगा है और इसके लिए 5,000 करोड़ रुपये की मांग की गयी है | रिलायंस इसी को आधार बना के एक मुकदमा दायर किया है जिसमे कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति गोहिल को आरोपी बनाया गया है और उनसे भी 5,000 करोड़ रुपये की मांग की गयी है |
राजनीती में आरोप प्रत्यारोप पहले भी होता रहा है जहाँ राजनैतिक पार्टी मुद्दों को अपने फायदे के अनुसार भुनाने की कोशिश करती रही है | उदाहरण के तौर पे स्वतंत्र भारत के इतिहास का पहला घोटाला जो नेहरु जी के समय में खबरों में आया था, हम सभी उसको जीप घोटाले के नाम से जानते है | वहाँ भी कभी कुछ साबित नही हो पाया था और नेहरु जी के राजनैतिक जीवन को देखते हुए ऐसी बातों पर भरोसा किया भी नही जा सकता था | फिर भी उस समय के विपक्ष ने इसे बहुत ही आक्रामक तरीके से उठाया था | ऐसा दूसरा उदाहरण है बोफोर्स बन्दुक (बोफोर्स तोप) से जुड़ा है जिसकी ख़रीद पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गाँधी के समय हुआ था |
परन्तु इस तरह के मामलों में यह पहला मौका है जब मानहानि का मुकदमा दायर किया गया है, देखते हैं ये कहाँ तक जाता है | इस तरह के राजनीतिक स्टंट से सबसे बड़ा नुकसान तो हमारे सेना का होता है, क्योंकि कई बार सरकार और नौकरशाह निर्णय लेने से डरती है और अनावश्यक तरीके से सेना के लिए जरूरी साजो सामान खरीदने मे दशकों लग जाता है |