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महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया, BJP दोनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. महाराष्ट्र में तो भाजपा-शिवसेना गठबंधन को जनता ने पूर्ण बहुमत दे दिया लेकिन हरयाणा में “अबकी बार 75 पार” वाला नारा का साथ लोगों ने नहीं दिया. जहाँ भारतीय जनता पार्टी हरयाणा में 75 पर का सपना देख रही थी वहां बहुमत के लिए जरुरी 46 सीट भी नहीं ला पाई.
दोनों राज्यों में सभी पार्टियों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हरयाणा में मामला त्रिशंकु हो गया, हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी, दोनों बहुमत से दूर है, पर BJP सबसे बड़ी पार्टी है तो सरकार बनाने का मौका पहले BJP को जरुर दिया जायेगा. बीजेपी बहुमत से सिर्फ 6 सीटें दूर है लेकिन इतनी सीटों का जुगार करना BJP के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, और ऐसे माहौल में बिल्कुल नहीं जब राज्य में कुल 7 निर्दली विधायक हों.
प्रधानमंत्री समेत BJP के सभी बड़े नेताओं ने दोनों राज्यों में आसानी से सरकार बनाने का दावा किया है, मतगणना के दिन ही एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुवा जिसमे हरियाणा के नवनिर्वाचित विधायकों को एक प्राइवेट जेट में देखा गया; बताया गया की वो सभी विधायक, दिल्ली BJP के बुलावे पर समर्थन देने आ रहे थे. इन विधायकों में ही एक विधायक हैं जिसको लेकर 2012 में बहुत बवाल कटा था, इस विधायक का नाम है गोपाल कांडा. गोपाल कांडा पर बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चला और जेल भी जाना परा था, कांडा फ़िलहाल जमानत पर बाहर हैं.
अब BJP में शामिल होने के बाद कांडा पर चल रहे मुकदमा का क्या होता है वो देखने वाली बात होगी. फ़िलहाल, बीजेपी के इस फैसले का पार्टी के अन्दर बाहर हर तरफ आलोचना हो रही है. बलात्कार के कई आरोपी नेताओं के कारन भारतीय जनता पार्टी पहले से ही बदनाम है चाहे वो उन्नाव का मामला हो या शाहजहांपुर यौन शोषण केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद का मामला हो. लगातार बलात्कार जैसे जघंन्य अपराध के आरोपी नेताओं के कारन बदनामी झेल रही पार्टी के लिए को एक और बलात्कार के आरोपी के साथ सरकार बनाना बल्कि कहें की उसके रहमो-करम पर सरकार बनाना एक नए निचले स्तर के तरफ बढ़ना है.
इस मामले पर टिपण्णी करते हुए गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा ने एक टीवी चैनल को कहा, क्या हम अब अपराधियों से समर्थन मांगकर सरकार बना रहे हैं? मैंने सात साल पहले अपनी बहन और मां को खोया है और मैं भी तक आहत हूं. ये देश कैसा है? हम गुंडों से कह रहे हैं कि वो आकर समर्थन दें और सरकार बनवाएं. क्या यही सरकार का “बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओं” अभियान है? हम महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपराधियों के हाथ में दे रहे हैं, वो भी ऐसे किसी की हाथ में जो किसी की मौत का जिम्मेदार है.
उमा भारतीय ने अपने ट्विटर पेज बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर पार्टी को घेरते हुए लिखा, “मुझे जानकारी मिली है कि गोपाल कांडा नाम के एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी हमें मिल सकता है. इसी पर मुझे कुछ कहना है. अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी तथा उसकी मां ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, तथा यह व्यक्ति ज़मानत पर बाहर है.”
5. अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी तथा उसकी माँ ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, तथा यह व्यक्ति ज़मानत पर बाहर है।
— Uma Bharti (@umasribharti) October 25, 2019
6. गोपाल कांडा बेक़सूर है या अपराधी, यह तो क़ानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा, किंतु उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता। चुनाव जीतने के बहुत सारे फैक्टर होते हैं।
— Uma Bharti (@umasribharti) October 25, 2019
क्या था गीतिका आत्महत्या मामला और कैसे गोपाल कांडा पर लगा आरोप?
कांडा की MDLR नाम की एक एयरलाइंस कंपनी थी. इस कंपनी में ही गीतिका शर्मा नाम की एयर होस्टेस काम किया करती थी. 5 अगस्त 2012 में गीतिका ने सूइसाइड कर लिया. पुलिस ने सूइसाइड नोट देखा, जिसमें गोपाल कांडा का नाम था.
कांडा पर आरोप था कि उन्होंने एयरहोस्टेस गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाया. अपने सूइसाइड नोट में गीतिका ने ही कांडा पर विभिन्न तरह के आरोप लगाए थे. इसमें शोषण और गलत इस्तेमाल प्रमुख था.
मामला सामने आने के बाद 10 दिनों तक फरार रहने के बाद कांडा ने जब सरेंडर किया तो उसपर रेप, सूइसाइड के लिए उकसाना, साजिश रचने जैसे अपराधों के चार्ज लगाकर अरेस्ट किया गया था. उस वक्त कांडा कांग्रेस की हुड्डा सरकार में मंत्री थे, जिससे उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
गीतिका की आत्महत्या के 6 महीने के भीतर ही गीतिका की मां ने भी सूइसाइड कर लिया. उनके सूइसाइड नोट में भी कांडा और उनके साथियों को जिम्मेदार ठहराया गया था. फिर करीब डेढ़ साल बाद मार्च 2014 में उन्हें जमानत मिल गई. तब दिल्ली हाई कोर्ट ने उनपर से रेप का चार्ज हटा दिया था. हालांकि, गीतिका सूइसाइड केस में उनपर ट्रायल चलता रहा जो अभी भी जारी है. अब ट्रायल कोर्ट में सबूत रखे जा रहे हैं. मां के सूइसाइड केस वाला मामला भी कोर्ट में है.
सत्ता की भूख में नेता और राजनीतक पार्टी क्या कर सकती है इसका एक जीता जगता उदहारण है BJP का उसी कांडा से हाथ मिलाना जिसे वो कभी बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी मानती थी. ऐसा नहीं है की BJP के जगह कोई और पार्टी ऐसा नहीं करती, पार्टी कोई भी हो सत्ता की भूख के सामने राजनीती पार्टियों को सब जायज दीखता है, बस कुर्सी मिलनी चाहिए; अगर कांग्रेस के समय प्रशासन और सरकार ने सही काम किया होता तो कांडा आज BJP के गोद में नहीं जेल के अंदर सजा काट रहा होता.
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