घूसकांड का वीडियो सबूत होने की वजह से दारोगा ने मार डाला – पुष्पेंद्र यादव की पत्नी

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उत्तर प्रदेश की झाँसी में पुष्पेंद्र यादव नाम के एक वक्ति ने पुलिस के हाथों अपनी जान गँवाई, यूपी पोलिस इसे एनकाउंटर बता रही लेकिन मृतक के परिजन और यूपी के कई नेताओं का मानना है की पुष्पेंद्र यादव की निर्मम हत्या की गयी है और पुलिस इसे एनकाउंटर बता कर हत्या करने वाले दारोगा को बचा रही है.

पुष्पेंद्र यादव के परिजन यूपी सरकार से इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं, परिवार ने सरकार से माँग किया है की मामले की जाँच अदालत के निगरानी में हो और आरोपी दारोगा पर हत्या का मुक़दमा भी दर्ज हो. परिवार के लोगों ने आरोपी इन्स्पेक्टर पर कार्रवाई के पहले पुष्पेंद्र का शव नहीं लेने की बात की जिसके बाद पुलिस ने क़ानून वेवस्था का हवाला देते हुए मृतक के परिजन के अनुपस्थिति में हीं अंतिम संस्कार कर दिया.

पुष्पेंद्र यादव की पत्नी का कहना है की पुष्पेंद्र के पास आरोपी दारोगा के घूसकांड का वीडियो सबूत था जिसके कारण ही उसकी हत्या की गयी. मृतक की पत्नी शिवांगी ने बुधवार को कहा- “अगर न्याय न मिला तो जहर खा कर आत्महत्या कर लूंगी.”

वहीं, बुधवार सुबह को एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे फौजी तेज बहादुर सहित 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. हिरासत में लिए हुए सभी प्रदर्शनकारियों को झांसी जिला जेल भेज दिया गया है. यह कार्रवाई अखिलेश यादव के झांसी पहुंचने से कुछ घंटे पहले की गई.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश बुधवार को पुष्पेंद्र के गांव में उनके परिजनों से मिलने पहुंचे थे. अखिलेश यादव ने फर्जी एनकाउंटर की जांच सिटिंग जज से कराए जाने की मांग की है. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी करारा हमला बोला. अखिलेश ने कहा कि यूपी पुलिस हत्या का पर्याय बन गई है. उन्होंने हाल ही में एनकाउंटर किए गए कई मामलों पर उंगली उठाई. उन्होंने सहारनपुर और आजमगढ़ समेत कई जगह फर्जी मुठभेड़ किए जाने की बात कही.

परिजनों ने दावा किया है की पुष्पेंद्र यादव रिश्वत की दूसरी किस्त आरोपी दारोगा धर्मेन्द्र सिंह चौहान को देने थाना गया था जहाँ उसे किसी बात पर कहा सुनी होने के बाद मार दिया गया, मृतक के भाई ने कहा की अगर पुलिस के पास थाने की CCTV फूटेज है तो वो जाँच कर सकती है.

इस पूरे मामले में यूपी पुलिस के अधिकारियों के बयानों में भी विरोधाभाष है, झाँसी के SSP ओपी सिंह का बयान आरोपी दारोगा के बयान से बिल्कुल अलग है, SSP कहते हैं की दारोगा धर्मेन्द्र सिंह चौहान छुट्टी पर थे, घटना के वक़्त कानपुर से अकेले लौट रहे थे, वहीं दारोगा धर्मेन्द्र सिंह चौहान का कहना है की वे निजी कार में सिपाही के साथ थाने से गश्त पर निकला था.

एसएसपी के अनुसार, दारोग़ा पर एक गोली चलाई गई और गोली चला कर पुष्पेंद्र बाइक से भाग गया; जबकि दारोग़ा का कहना है की एक गोली पुष्पेंद्र यादव और एक उसके भाई ने चलाई और गोली चलाकर वो उनकी कार लूट के भाग निकले. दारोग़ा धर्मेन्द्र सिंह चौहान ने अपनी हत्या के कोशिश के लिए एक FIR दर्ज कराया जिसमें पुष्पेंद्र यादव और उसके भाई रबिंद्रा और विनीत को आरोपी बनाया है, गौर करने वाली बात ये है की पुष्पेंद्र यादव के भाई रबिंद्र जिसपर हत्या की कोशिश का आरोप लगाय गया वो CISF में नौकरी करता है और उनका कहना है की घटना के वक्त वो दिल्ली के JLN स्टेडीयम मेट्रो स्टेशन में ड्यूटी कर रहा था.

यूपी पुलिस चाहे जो भी कहे या मीडिया और लोगों को डराने के लिए जितने भी ट्वीट करे लेकिन इस पूरे मामले में कोई तो झोल है जो तभी सामने आएगा जब इस मामले की जाँच ऐसे माहौल में होगी जो सरकार के दबाव से बाहर हो जिसकी माँग मृतक के परिजन, अखिलेश यादव समेत अन्य विपक्षी नेता कर रहे हैं.