पिछले 48 दिन से पूरा भारत उम्लमीद और गौरव के साथ इसरो के मिशन चंद्रयान-2 को देख रहा था. हर इंसान इसे सफल होते देखना चाह रहा था. ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया, जिसका कुछ हद तक श्रेय इन्टरनेट को भी जाता है जिसने युवा वर्ग को इसके करीब लाया. लेकिन आखिरी समय में चंद्रयान-2 का संबंध विक्रम लैंडर से टूट गया. इसके साथ ही करोड़ों लोगों का दिल भी टूट गया.
यह मिशन भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण था कि, मौके का साक्षी बनने के लिए खुद पीएम मोदी इसरो सेंटर पर मौजूद थे. इसरो के वैज्ञानिकों को जब इस बात का पता चला तो हताशा उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन उस वक्त पीएम मोदी ने उनका ढांढ़स बंधाया. इसरो चीफ के सिवन पीएम मोदी के गले लगकर भावुक हो गए.
#WATCH PM Narendra Modi hugged and consoled ISRO Chief K Sivan after he(Sivan) broke down. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/bytNChtqNK
— ANI (@ANI) September 7, 2019
आज हम सिवन के अब तक के सफर पर नज़र डालते हैं:
के सिवन ने अपना बचपन बेहद अभाव में काटा. पिता किसान थे इसलिए आमदनी बहुत ज्यादा नहीं थी. लेकिन सिवन के हौंसलों के आगे मुसीबतों की एक न चली और आज किसान का बेटा इसरो का चीफ बना हुआ है. सिवन बताते हैं कि बचपन में उनके पास न जूते थे न सैंडल, वह नंगे पैर ही रहते थे. अपनी पोशाक के बारे में सिवन ने कहा, ‘मैंने कॉलेज तक धोती पहनी है. मैंने पहली बार पैंट तब पहना जब मैंने एमआईटी में दाखिला लिया.’
जानिए के सिवन के बारे में अनसुनी बातें
1- के सिवन का जन्म तमिलनाडु के तटीय जिले कन्याकुमारी के सराकल्लविलाई गांव में खेतिहर किसान कैलाशवडीवू और चेल्लम के घर 14 अप्रैल 1957 को हुआ था.
2- उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से हुई. सिवन पढ़ाई में अच्छे थे. अत: पिता और परिवार के अन्य लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया.
3- गरीबी के बाद भी सिवन ने नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से बीएससी (गणित) की पढ़ाई 100 प्रतिशत अंकों के साथ पूरी की. स्नातक करने वाले वे परिवार के पहले सदस्य थे.
4- सिवन ने 1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की. इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आइआइएससी) से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर के बाद 2006 में उन्होंने आइआइटी बांबे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की.
5- सिवन 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़ गए. उन्होंने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) परियोजना में योगदान देना शुरू किया.
6- अप्रैल 2011 में वह जीएसएलवी के परियोजना निदेशक बने. सिवन के योगदान को देखते हुए जुलाई 2014 में उन्हें इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर का निदेशक नियुक्त किया गया. एक जून, 2015 को उन्हें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) का निदेशक नियुक्त किया गया. 15 जनवरी, 2018 को सिवन ने इसरो के मुखिया का पद्भार संभाला.
7- सिवन को तमिल के क्लासिकल गाने सुनना पसंद हैं. उनकी फेवरिट फिल्म अपने समय के सुपर स्टार राजेश खन्ना की आराधना (1969) थी.
8- चंद्रयान-2 की उड़ान पहले 15 जुलाई को प्रस्तावित थी लेकिन एक तकनीकी गड़बड़ी की वजह से उसे ऐन मौके पर टालना पड़ा. इसके बाद सिवन ने फौरन ने एक हाई लेवल टीम गठित करके गड़बड़ी खोजी और 24 घंटों के भीतर ही उसे ठीक भी कर दिया.
9- इसके बाद 22 जुलाई को चंद्रयान-2 धरती से रवाना हुआ. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में रिकॉर्ड समय में इस तकनीकी खामी को दूर करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ भी की थी.
10- 6 सितंबर को चंद्रयान-2 अपने मिशन के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था लेकिन ऐन वक्त पर लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया. हालांकि ऑर्बिट अभी भी चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है.