‘TV9 भारतवर्ष’ के द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन ने एक बार फिर से भारतीय राजनीति का असली चेहरा सामने ला दिया है. देश के नेताओं के ऐसे झूठे और करप्ट रूप को देख के ये स्वाभाविक लगता है कि आजादी के इतने सालों बाद भी हम विकसित देशों के सूची में क्यों नहीं हैं, क्यों आज भी गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी जैसे समस्या हमारे समाज में व्याप्त है.
जात-पात, धर्म और पैसों के बल पर अपराधिक प्रवृत्ति के लोग देश के संसद तक पहुंच जाते हैं जिनका मकसद बस पैसे बनाना होता है. समाज ऐसे लोगों को देश के लिए कानून बनाने और राष्ट्र सेवा के लिए चुनते हैं जिस पर हत्या, अपहरण, जैसे संगीन अपराध के आरोप होते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से देशहित और जनहित के लिए काम करने की अपेक्षा करना मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं है.
बात करते हैं “TV9 भारतवर्ष” के द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन की जिसमे TV9 ने कई नेताओं का असली चेहरा जनता के सामने लाया है जिसमे एक मधेपुरा के सांसद और जन अधिकार पार्टी के संस्थापक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी हैं जो एक निजी कम्पनी के ऐसेट बनने लिए तैयार हैं. पप्पू यादव स्टिंग में ख़ुद कबूल रहे की उन्हें लगभग 2 से 2.5 करोड़ रुपया चुनाव के समय बाँटना पर सकता है और पूरे चुनाव में लगभग 7-8 करोड़ तक खर्च होने वाला है जो चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित अधिकतम 70 लाख से कई गुना अधिक है.
पप्पू यादव बिहार के चर्चित नेताओं में से एक हैं जो समय-समय पर विभिन्न कारणों से चर्चा में रहे हैं. पप्पू यादव की पहचान दबंग और बाहुबली के रूप में है. 1995 में पप्पू यादव पर पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप के मुख्य आरोपी को सुरक्षित भगाने का आरोप लगा है. सांसद पप्पू यादव पूर्णिया से विधायक और CPI (M) के लोकप्रिय नेता रहे अजित सरकार की निर्मम हत्या के आरोप सालों जेल में बीता चुके हैं. और, पप्पू यादव की पहचान इस बात से भी है की वो अपने क्षेत्र के जनता की अपने संसदीय क्षेत्र से लेकर दिल्ली तक बहुत मदद करते हैं.
अजित सरकार हत्या मामले में हाई कोर्ट से बरी होने के बाद पप्पू यादव और उनके सहयोगी उनकी एक अच्छे नेता की छवि बनाने की कोशिश में लगे हैं, पप्पू यादव खुद अपने सोशल मीडिया पेज के माध्यम से ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो बहुत बड़े समाज सेवक हैं और अपने क्षेत्र की जनता का सम्मान, देखभाल और सहायता करते हैं; यहां तक कि पप्पू यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपना नाम में सेवक लगा लिया है, लेकिन, आपने देखा होगा कैसे TV9 Bharatvarsh के द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सब सच सामने आ गया. पप्पू यादव अपने स्टिंग विडियो में ख़ुद ये कबूल करते दिखे की वो 10 से 12 लाख रुपया हर महीने सोशल साइट्स पर खर्च आता है; लेकिन पप्पू यादव के सोशल मीडिया उपस्थिति को देख के ऐसा बिलकुल नहीं लगता है की इतने पैसे खर्च होते होंगे; या तो JAPL के संस्थापक स्टिंग कर रहे पत्रकार को मालदार कम्पनी के आदमी समझ कर बढ़ा चढ़ा कर बता रहे या सोशल मीडिया एजेंसी सांसद जी को चुना लगा रही.
नीचे ‘TV9 भारतवर्ष’ के माध्यम से विडियो शेयर किया गया है इसे ज़रूर देखें.
पप्पू यादव निजी कम्पनी के कर्मचारी बनकर मिले स्टिंग ऑपरेशन करने वाले पत्रकारों को भरोसा दिला रहे हैं की वो खुद और उनकी पत्नी रंजीता रंजन पैसे लेकर कम्पनी के फ़ायदा के लिए संसद में कोई भी सवाल उठाने के लिए तैयार हैं. पप्पू यादव अंडरकवर पत्रकार को चुनाव में होने वाले खर्च देने के लिए रिझाने का प्रयास करते हुए भविष्य में तीन सांसद के सहयोग की बात भी कर रहे, यही नहीं कांग्रेस की सरकार आने पर अपनी पत्नी रंजित रंजन जो कांग्रेस की सांसद हैं उनके मंत्री बनने की संभावना और लाभ पहुँचाने की बात कर रहे हैं. पप्पू यादव विडियो में अपनी माँ का पूर्णिया से चुनाव लड़ने की बात भी करते दिखे. बता दें कि कुछ दिनों पहले कयास लगाया जा रहा था कि पप्पू यादव खुद या अपनी माँ को पूर्णिया से लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं जिसे बाद में टाल दिया गया.
स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में पप्पू यादव खुलेआम चुनाव में पैसे बाँटने, चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित रकम से कई गुना अधिक खर्च करने की बातों को मान रहे हैं. लेकिन, इन सबके अलावे उन्होंने एक और बात कही; मधेपुरा के सांसद ने कहा “राजनीति का मतलब.. सेवा धर्म राजनीति नहीं है, जितनी दोगलई तेगलई कर सकोगे, उतनी अच्छी राजनीति कर सकोगे. काटोगे, नफरत पैदा करोगे”.
अब मधेपुरा समेत देश की जनता को समझना चाहिये कि नेताओं की कथनी और करनी में कितना अन्तर होता है, जो नेता खुदको बड़े समाजसेवी बताते हैं, जो अपने आप को अपने लोकसभा क्षेत्र का नेता नहीं बेटा होने जैसी बात करते हैं वही पर्दे के पीछे पैसों से वोट खरीदने और सभी नियमों को ताक पर रखकर पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार दिखते हैं. जो नेता चुनाव के समय दुनियाँ के सामने जनता के लिए काम करने की कसमें खाते हैं वही नेता कैमरे के पीछे कुछ पैसों के लिए किसी व्यापारी और कंपनी के सामने नतमस्तक होते हैं और पैसे के लिए प्राइवेट कंपनी के लिए काम करने को तैयार दिखते हैं.
ये सिर्फ पप्पू यादव या इस स्टिंग ऑपरेशन में दिखाए गए अन्य 17 नेताओं की बात नहीं है ये चेहरा है हमारे देश की राजनीति की, जिसमें चुनाव के वक्त नेताओं और राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव जितने के लिए पानी के तरह पैसों को बहाया जाता है और सत्ता में आने के बाद या चुनाव जितने के बाद सभी ख़र्चों की तरह तरह के नैतिक और अनैतिक तरीक़ से भड़पाई की जाती है.