क़रीब एक साल पहले 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में जो हुआ उसे भारत कभी नहीं भुला सकता, 14 फरवरी को ही पुलवामा में आतंकी हमले को अंजाम दिया गया था, इस हमले में क़रीब 40 से अधिक CRPF के जवानों को शाहिद कर दिया गया. पुलवामा हमले के बाद इस हमले के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन “जैश-ए-मोहम्मद” को ज़िम्मेदार पाया गया और भारत सरकार ने कार्रवाई करते हुए “जैश-ए-मोहम्मद” के प्रमुख ठिकानों पर ऐयर स्ट्राइक किया.
पुलवामा हमले में शामिल माने जाने वाले कई आतंकियों को पुलिस ने जगह-जगह हुए मुटभेरों में मार गिराया, इन आतंकियों में शामिल है गाजी उर्फ़ कमरान जो हमले का मास्टर माइंड और आतंकी को हमले के लिए कार मुहैया कराने वाला सज्जाद भी मार गिराया गया. लेकिन, आगे पुलवामा हमले से जुड़े कई सवालों की जाँच का क्या हुवा और सरकार ने क्या कार्रवाई की इसको लेके विपक्षी पार्टियाँ हमेशा सवाल उठाती रही है; DSP देवेंद्र सिंह की हिज्बुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी के साथ गिरफ़्तारी होने के बाद अब वही सवाल एक बार फिर से सांसद के अंदर बाहर उठ रहा है.
बीते 11 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में स्थानीय पुलिस अधिकारी DSP दविंदर सिंह को दो आतंकियों के साथ श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर पकड़ा गया. दविंदर सिंह के श्रीनगर के इंदिरा नगर स्थित घर की तलाशी के बाद हथियारों का जखीरा मिला. पुलिस ने यहां से 5 ग्रेनेड, 3 एके-47 राइफल बरामद किए हैं. दविंदर श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात था, अब पुलिस अधिकारी एयरपोर्ट पर सीसीटीवी फुटेज की जांच भी कर रही है. दविंदर सिंह को पिछले वर्ष 15 अगस्त को J&K सरकार द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2013 में दविंदर सिंह तब चर्चा में आया था जब संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी, जिसमें दावा किया गया था अधिकारी ने उसे संसद हमले के एक आरोपी को साथ दिल्ली ले जाने और उसके रहने की व्यवस्था करने को कहा था.
अब विपक्ष पुलवामा हमले की जाँच की बात इसलिए भी कर रही है क्योंकि DSP दविंदर सिंह पुलवामा हमले के समय वहीं तैनात था. सवाल ये भी उठता है की दविंदर सिंह का नाम संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी में आने के बाद भी कैसे उसे 15 अगस्त 2018 को J&K सरकार ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया? मोदी सरकार कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की सभी बातों और आरोपों को चाहे तो नकार दे लेकिन इस बात को नकारना उचित नहीं होगा की पुलवामा हमले में उचित जाँच होनी ही चाहिए और DSP दविंदर सिंह की भूमिका की खास तौर पर जाँच की जानी चाहिए.
DSP देविंदर सिंह जिन दो आतंकीयों के साथ पकड़ा गया उसके नाम नवीद बाबू और रफी था. नवीद बाबू शोपियां में आतंक का चेहरा था. इस आतंकी के ऊपर कई पुलिस अफसरों की हत्या का आरोप है; वहीं आतंकी रफी वकालत कर चुका था और उसे लोगों को फर्जी कागजातों के आधार पर पाकिस्तान ले जाने में महारत हासिल थी.