भाजपा के सहयोगी दलों के टूटने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, अब इस कड़ी में पिछले कुछ दिनों से बाग़ी तेवर में रहने वाले बिहार के आरएलएसपी चीफ उपेन्द्र कुशवाहा भाजपा और NDA के दामन छोड़ महगठबंदन में शामिल हो गए हैं. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि हम कह चुके थे कि हमारे पास कई विकल्प हैं, यूपीए उनमें से एक थी.
राहुल गांधी ने पूरा दिल दिखाया और आदरणीय लालू यादव की वजह से महागठबंधन जॉइन किया. लेकिन कुशवाहा ने महागठबंधन में शामिल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह बिहार के जनता बताया. उन्होंने यह भी कहा कि उनका एनडीए में लगातार अपमान हो रहा था. यहां तक कि नीतीश कुमार ने उन्हें नीच कहकर अपमानित किया.
जनहित की आवाज पर आज #यूपीए #महागठबंधन में शामिल हुआ। #बिहार में पढाई, कमाई और दवाई की व्यवस्था हो, इसके लिए सड़क से सदन तक संघर्ष करते रहें हैं, और आगे भी करते रहेंगे। pic.twitter.com/VGO6ZSIkHw
— Upendra Kushwaha (@UpendraRLSP) December 20, 2018
दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में आयिजित प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में इस बात की अधिकारिक घोसना की गयी जिसमें महागठबंधन के तरफ़ से राजद के युवा नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव, आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल जैसे दिग्गज नेता इस भी इस प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में मौजूद रहे.
कुशवाहा ने क्या कहा?
इस मौके पर कुशवाहा ने विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन को दिलों का गठबंधन बताते हुए कहा कि सभी दल संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ने के लिए एकजुट हुए हैं.
कुशवाहा ने कहा, “एनडीए में मेरा अपमान हो रहा था. ठीक वैसे ही जैसे दूसरे राज्यों में बिहार के लोगों का अपमान होता है.”
आरएलएसपी के अध्यक्ष ने आगे कहा, “अपना पेट पालने के लिए बिहार या किसी दूसरे प्रदेश के लोग अन्य राज्यों में जाते हैं तो यह अच्छा नहीं है. लोगों में एक भावना थी और नरेंद्र मोदी ने चुनाव के वक्त यह वादा किया था पढ़ाई, दवाई और कमाई के लिए यहां के लोगों को बाहर नहीं जाना होगा लेकिन नौजवान आज भी बड़ी संख्या में बाहर जा रहे हैं. न स्कूल में शिक्षा की व्यवस्था हुई, न ग़रीबों के इलाज का इंतजाम हुआ. सभी मोर्चों पर हमलोगों ने देखा कि वादा तो हुआ लेकिन कथनी और करनी में इतना बड़ा फर्क होगा, उस समय मैंने महसूस नहीं किया था.”
उन्होंने कहा, “हालांकि एनडीए में रहते हुए मैंने सोशल जस्टिस हो या बिहार के हित, कभी आवाज़ उठाने में कोताही नहीं की. उनको लगा कि जब साथ रह कर भी कोशिश इसकी ओर से है तो इसकी ताक़त को ही कम क्यों न कर दिया जाए. इसलिए हमारी सीटों की संख्या घटा दी गई. हमारी पार्टी को तोड़ने में लग गए जिसमें उनका साथ दिया नीतीश कुमार ने. हमें कमज़ोर करने की कोशिश की गई ताकि हम बिहार के लोगों की हितों की बात नहीं उठाएं. इसलिए हमने उनका साथ छोड़ दिया.”
इस मौक़े पर तेजस्वी यादव ने कहा “जिस प्रकार से मोदी ने देश में तानाशाही ही नहीं बल्कि अपने घटक दलों के साथ तानाशाही रवैया किया है. देश में अघोषित आपातकाल है. देश के सभी संवैधानिक संस्था को बचाने की लड़ाई है.”
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए आगे कहा “उन्होंने जनता को धोखा देने का काम किया है. कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा. उन्होंने बिहार की बोली लगाई थी… कि 70 हज़ार दूं कि 80 हज़ार दूं… चलो सवा लाख देता हूं. उन्होंने सिर्फ़ और सिर्फ़ बिहार को ठगने का काम किया और ठेंगा दिखाने का काम किया. बिहार पिछड़ा हुआ प्रदेश है. हमारा मक़सद इसे आगे बढ़ाना है. जब तक बिहार जैसे राज्य तरक्की नहीं करेंगे देश तरक्की नहीं करेगा. हम ऐसा नेता देने के मक़सद से जुटे हैं तो कम ही वादे करे, लेकिन उसे पूरा करे. हम एनडीए के ठगों के गठबंधन को करारा जवाब देने के लिए एकजुट हुए हैं.”
ख़बरों की माने तो बिहार के एक और पार्टी “लोक जनशक्ति पार्टी” के नेता और राम विलास पासवान के बेटे चिराग़ पासवान के बोल भी बदले लग रहे हैं और क़यास लगाया जा रहा है की वो भी राजग (NDA) से अलग हो सकते हैं, अगर ऐसा होता है तो ये भाजपा और NDA के लिए बिहार में बहुत बड़ा झटका माना जाएगा.
चिराग़ पासवान ने अपने एक बयान में राहुल गांधी के किसानों के मुद्दों को दृढ़ता से उठाने की तारीफ की और एनडीए को विकास के मुद्दे पर वापस लौटने की नसीहत दी. वहीं दिप्रिंट से बातचीत करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि राम मंदिर और धर्म भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा हो सकता है, लेकिन एनडीए के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि वह पिछले 7-8 महीने से किसानों और जॉब से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं. यह सभी बातें हर मंच पर उपलब्ध हैं.