हमारे देश के राजनीति की एक बड़ी विचित्र विडंबना है कि राजनेता दूसरों पर तो उंगली उठाते हैं लेकिन खुद वही काम करते हैं. हाल में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें एक ऐसे व्यक्ति के परिवार को टिकट दिया गया है जो नाबालिग के यौन शोषण के सजायाफ्ता है.
वर्तमान में RJD के सर्वेसर्वा हैं बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव हैं जो लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले में जैल जाने के बाद से पार्टी के सारे कामकाज को बखूबी सम्हाल रहे और अपने पार्टी की छवि सुधारने के प्रयास में सफल दिख रहे हैं. लेकिन तेजश्वी यादव और उनकी पार्टी राजद के तरफ़ से एक ऐसे उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव में उतरना दुखद है जिसके पति नाबालिग से रेप के मामले में सजायाफ्ता है.
आपको याद होगा कुछ महीनों पहले तेजस्वी यादव और विपक्ष के अन्य नेता किस प्रकार से बिहार सरकार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को उसके पति के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में संलिप्तता को लेकर धरना प्रदर्शन और हंगामा खड़ा किया था जिसे एक प्रशंसनिय क़दम माना जाना चाहिए लेकिन क्या राजनीति में इतनी भी लिहाज़ नहीं होनी चाहिए की जिसे आप ग़लत बता देश भर में वाहवाही प्राप्त करते हैं, जिसे दूसरी पार्टी या नेता के लिए आप ग़लत मानते हैं वो ख़ुद ना करे वो भी तब जब सब कुछ आपके कंट्रोल में हो.
2015 में राजबल्लभ यादव राजद के टिकट से विधानसभा के लिए चुना गया था, नौ फरवरी 2016 को राजबल्लभ यादव ने एक नाबालिग लड़की को शराब पिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था. अदालत ने राजबल्लभ को आईपीसी की धारा 376 एवं पॉक्सो की धारा 4 व 8 के तहत दोषी करार दिया गया था; पटना के सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने 21 दिसंबर 2018 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में विधायकी गवाँ चुके नवादा के पूर्व विधायक बेउर जेल में कैदी नंबर 10518 बन उम्रकैद की सजा काट रहे हैं लेकिन शायद लालू यादव की पार्टी को उसके प्रति मोह अभी भी गया नहीं इसलिए राजबल्लभ की पत्नी को सांसद का टिकट दिया.
क्या राजद और महगठबँधन में राजबल्लभ और उसके परिवार के अलावा कोई भी दूसरा नेता नहीं है? क्या नवादा और बिहार की जनता इतना नहीं समझती है की राजबल्लभ की पत्नी जिसे राजनीति का कोई अनुभव नहीं है वो देश के सांसद में बैठ के देश के लिए क्या क़ानून बनाएगी? क्या जनता को ये समझ नहीं है की राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी महज़ एक चेहरा बस है जिसे जेल में सज़ा काट रहे अपने पति के अनुसार ही चलना होगा?
नवादा ही नहीं बल्कि हमारे आपके जैसे सभी मतदातवों को ये सोचना होगा की कम से कम ऐसे लोगों को तो अपना बहुमूल्य वोट ना दे जो किसी आपराधिक मामले में सज़ा काट रहा हो या जो आपराधिक गतिविधियों में शम्मलिप्त हो, क्योंकि ऐसे लोग चाहे किसी पार्टी का हो या किसी जाती धर्म का क्यों ना हो कभी देश के लिए या देश की जनता के लिए नहीं सोच सकता. सांसद कोई मामूली नेता नहीं होता है और ना हीं वो पार्टी के लिए सांसद में बस एक नम्बर मात्र होता है, सांसद की ज़िम्मेदारी होती है देश के लिए क़ानून बनने की जो राजबल्लभ जैसे बलात्कारी या उसके जैसे अपराधियों के इशारे पर चलने वाले लोग कभी अछे से नहीं कर सकते.
जब तक जनता ऐसे लोगों को चुनाव में बाहर का रास्ता नहीं दिखाएगी तब तक राजनीतिक पार्टियाँ ऐसे हीं सजायाफ्ता लोगों को या उसके परिवार के सदस्यों को चुनाव में खड़ी करती रहेगी चाहे वो जेडीयू की मंजू वर्मा हो या राजद की विभा देवी.
राजबल्लभ यादव बिहार के पहले ऐसे विधायक हैं, जिन्हें पद पर रहते हुए रेप मामले में सजा सुनायी गयी. इससे पहले 90 के दशक में विधायक योगेंद्र सरकार पर रेप का आरोप लगा था. लेकिन, सजा उन्हें तब सुनायी गयी, जब वह विधायक नहीं थे.
राजबल्लभ यादव की पत्नी को लोकसभा चुनाव का टिकट देकर राजद (RJD) ने यह साफ कर दिया है की पार्टी और पार्टी के अधिकारियों ने राजबल्लभ यादव पर लगे आरोपों की अनदेखी करते हुए जातिगत आधार और उनके प्रभाव में आकर टिकट वितरण किया है; अब फैसला नवादा की जनता को करना है की उसे अपने जिले का प्रतिनिधि कैसा चाहिए. जहाँ तक बात राजद या महगठबँधन के स्थानीय कार्यकर्ता की है तो उन्हें एक सुर में उम्मीदवार बदलने की अपील पार्टी आलाकमान से करनी चाहिए क्योंकि ऐसे हीं भ्रष्ट और अपराधी नेताओं के कारण पार्टी के बहुत से अच्छे कार्यकर्ता कभी आगे नहीं बढ़ पाते जो शायद जनता और पार्टी के लिए बहुत अच्छा कर सकते हैं.