क्या चुनाव अधिकारी सरकार के दबाव में तेज बहादुर यादव पर कर रही कार्रवाई?

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बनारस अभी देश का सबसे चर्चित लोकसभा चुनाव मैदान में एक है. 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी यहाँ से सांसद चुने गाए थे और उन्हें टक्कर देने दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने भी नामांकन दाख़िल किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,023 वोट मिला जबकि दूसरे स्थान पर रहे केजरीवाल को 209238 वोट मिला था.

इस बार बनारस का चुनावी माहौल पिछली बार से थोरी अलग है, इस बार प्रधानमंत्री को चुनौती देने बीएसएफ के बर्खास्‍त जवान तेज बहादुर यादव मैदान में हैं. नरेंद्र मोदी, भाजपा और पार्टी समर्थक इस बार के पूरे चुनाव में सैनिक के मुद्दे को जम के भुनाने के प्रयास में, देश में ऊरी और पुलवामा हमले के बाद सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को सरकार खुले आम चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए इस्तेमाल कर रही है कभी सीधे तौर पर तो कभी किसी और बहाने से लेकिन किसी ना किसी तरह से भाजपा देश के सैनिकों की शहादत और सरकार की जवाबी कार्रवाई को जनता के बीच ताज़ा रखने के प्रयास है.

वैसे तो तेज बहादुर यादव काफ़ी पहले से हीं मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने को घोषणा कर चुके थे जिसकी चर्चा भी मीडिया में थी लेकिन अब तेज बहादुर यादव के साथ सपा और बसपा के गठबंधन का भी समर्थन है. यूपी में मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने अपनी गठबंधन की ओर से तेज बहादुर यादव को बनारस से गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन भरा था. लेकिन बाद में गठबंधन ने उन्हें 29 अप्रैल को शालिनी यादव के बदले अपना उम्मीदार बनाया. हरियाणा के निवासी तेज बहादुर यादव का कहना है कि वे फ़ौज के नाम पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं और वो काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं.

सपा-बसपा गठबंधन के द्वारा तेज बहादुर यादव को प्रत्यासी बनाने के निर्णय को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर सराहना करते हुए कहा “एक तरफ़ माँ भारती के लिए जान दाँव पर लगाने और जवानों के हक़ की लड़ाई में अपनी नौकरी गँवाने वाला शख़्स, दूसरी ओर जवानों की आवाज़ उठाने वाले की नौकरी छीनने और जवानों की लाशों पर वोट माँगने वाला शख़्स.”

चुनाव आयोग के द्वारा जारी एक नोटिस से तेज बहादुर यादव के उम्मीदवारी पर खतरा हो गया है, जो ना सिर्फ़ तेज़ बहादुर यादव बल्कि गठबंधन के लिए भी निराशाजनक हो सकता है. दरसल, तेज बहादुर 24 अप्रैल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में और 29 अप्रैल को गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में दाखिल पर्चे में नौकरी से बर्खास्‍त किये जाने को लेकर दो अलग- अलग दावे किये थे. उसी को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें नोटिस भेजा है जिसका जवाब 1 मई यानी बुधवार की सुबह 11 बजे तक देना है. जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने तेज बहादुर से अपने दावे के समर्थन में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्णायक साक्ष्य देने का निर्देश दिया है. तेज बहादुर को दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग से प्रमाण पत्र जारी करा कर लाना होगा. तेज बहादुर यादव और उनके समर्थक द्वारा लगातार इस कार्रवाई के लिए PM मोदी और सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है.

चुनाव आयोग के नोटिस के ख़बर आने के बाद तेज बहादुर ने बताया कि यदि उनके फॉर्म मे कोई कमी होती तो चुनाव अधिकारी को उसी वक्त बताना चाहिए था. जिस डॉक्युमेंट की कमी होती उसे पूरा किया जाता. लेकिन अब मंगलवार को शाम तीन बजे उन्हें चुनाव अधिकारी ने नोटिस भेजा और बुधवार सुबह 11 बजे तक केंद्रीय निर्वाचन कार्यलय से प्रमाणित दस्तावेज लाने के लिए कहा गया है. तेज बहादुर का आरोप है ऐसा उन्हें परेशान करने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए किया जा रहा है.

हालांकि जिला चुनाव अधिकारी वाराणसी ने तेज बहादुर को जिन धाराओं को नियमों के तहत नोटिस भेजा है उसका पूरा ब्यौरा भी नोटिस में दिया है.

Election commission might cancel the candidature of Tej Bahadur Yadav from Banaras

जिला निर्वाचन अधिकारी ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 के हवाले से भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी निर्णायक साक्ष्य पत्र प्रस्तुत करने के लिये कहा है. अब 1 मई को दिन में 11 बजे तक तेज बहादुर को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी उनकी नौकरी से बर्खास्तगी के वास्तविक कारणों को दर्शाने वाले प्रमाण पत्र को वाराणसी जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा कराना होगा. इसके बाद ही तेज बहादुर के नामांकन पत्र के बारे में आगे निर्णय लिया जाएगा. अगर किसी कारण से तेज बहादुर यादव ये प्रमाण पत्रा निर्धारित समय में जमा नहीं करा पाए तो उनकी उम्मीदवारी भी जा सकती है.

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बीएसएफ जवान रहे तेज बहादुर यादव का दो साल पहले 2017 में एक वीडियो वायरल हुवा था जिस विडियो में उन्होंने फौजियों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता बेहद खराब बताते हुए तमाम आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि खाने की शिकायत करने के बाद भी अफसर कोई सुनवाई नहीं करते हैं. यहां तक कि गृह मंत्रालय ने भी उनकी चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं दिया. मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में सेना ने जांच के आदेश दे दिए थे, जिसके बाद तेज बहादुर यादव बीएसएफ से निकाल दिया गया था.