Unnao Case: सभी केस दिल्‍ली होंगे ट्रांसफर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश-7 दिन में जांच पूरी करे सीबीआई

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सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्मकांड से जुड़े सभी मामलों को लखनऊ, यूपी से बहार दिल्ली ट्रान्सफर करने का आदेश दे दिया है, साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने सीबीआई को आदेश दिया है की रविवार को पीड़िता के साथ हुए हादसे की जाँच 7 दिनों में पूरी करे. सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 2 बजे तक पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है और साथ ही कहा है कि अगर पीड़िता एयरलिफ्ट करने की हालत में है, तो उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया जाए.

इस मामले में पीड़ित लड़की के परिजन ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी जिसे कोर्ट ने 17 जुलाई को ही प्राप्त कर लिया था लेकिन CJI रंजन गोगोई के सामने 30 जुलाई तक नहीं लाया गया जिसे बाद में खुद मुख्य न्यायधीश के हस्तक्षेप के बाद प्रस्तुत किया गया. CJI ने चिट्टी देर से मिलने के कारन सेक्रेटरी जनरल से जवाव माँगा. इसी अर्जी पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने आज ये आदेश दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत के तरफ से केस ट्रान्सफर करने का ये फैसले पीड़िता के परिजनों और इस मामले से संवेदना रखने वाले लोगों के लिए इंसाफ के उम्मीद की किरण जैसी होगी.

इस मामले में मुख्या आरोपी भाजपा के विधायक है और इस पुरे मामले में यूपी की पुलिस चरों तरफ से सवालों के घेरे में है. पीड़िता के परिजन ने मीडिया को बताया की रविवार को हुए दुर्घटना के पहले जान को खतरा और केस वापस लेने के लिए धमकाने सम्बंधित कुल 35 अर्जी राज्य की पुलिस को दिया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. यूपी पुलिस ने 25 अर्जी की बात कबुली है, अब इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की योगी आदित्यनाथ की पुलसी ने पुरे मामले में कितनी लापरवाही के साथ काम किया है. अगर भाजपा शासित यूपी की पुलिस ने एक अर्जी पर भी गौर किया होता तो शायद पीड़िता के परिवार के लोगों को अपनी जानें नहीं गंवानी पड़ती.

सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता (Unnao Rape Case) के सड़क दुर्घटना मामले में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और नौ अन्य के खिलाफ हत्या के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है, इस मामले में जिन लोगों पर केस दर्ज किया गया है उस सूचि में एक नाम अरुण सिंह का भी है जो उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के दामाद हैं. सेंगर के अलावा दुर्घटना मामले में जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उनमें उनके भाई मनोज सिंह सेंगर, अरुण सिंह, विनोद मिश्रा, हरी पाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह, रिंकू सिंह, वकील अवधेश सिंह और 15 से 20 अज्ञात व्यक्ति हैं.

अब उम्मीद है इस मामले में उचित कार्रवाई होगी क्योंकि मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और अदालत इस मामले सा सभी पहलूवों के तह तक जाती दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या पिता की मौत पुलिस की कस्टडी में हुई है? इसके अलावा CJI ने उनकी गिरफ्तारी, पिटाई और मौत के बीच का अंतर पूछा है?

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि इस हादसे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए. जब सॉलिसिटर जनरल ने एक महीने का वक्त मांगा तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि एक महीना नहीं, 7 दिन में जांच कीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले से जुड़े घटनाक्रमों पर भी नाराजगी जताई और कहा, “इस देश में आखिर हो क्या रहा है? कुछ भी कानून के हिसाब से नहीं हो रहा.”