कोलकाता में 75 साल के वृध की हार्ट अटैक से मौत के बाद डॉक्टर के साथ गुंडागर्दी, देश भर के डॉक्टर्स कर रहे विरोध प्रदर्शन

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Image Source: ANI

पश्चिम बंगाल से आय दिन राजनीतिक पार्टियों के बीच गुंडागर्दी के ख़बरें आती रहती है, लेकिन 10 मई को कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जो हुआ वो राज्य की क़ानून वेवस्था का पोल खोलने के लिए काफ़ी है. साथ हीं ये घटना से ये भी पता चलता है की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज में किस प्रकार गुंडे बेलगाम हो गए हैं.

क्या है पूरा मामला और आख़िर 10 मई को एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुआ क्या था?

एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में से एक है, सोमवार 10 मई की शाम को कोलकाता के टेंगरा इलाके के 75 वर्षीय मोहम्मद सईद का दिल का दौरा पड़ने के बाद एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिला कराया गया था. अस्पताल में परिजनों के सामने ही उसे दूसरा दौरा पड़ा. रात को ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टरों ने उसे जीवनरक्षक इंजेक्शन लगाया. लेकिन 75 वर्षीय वृध मोहम्मद सईद उसे बचाया नहीं जा सका.

वृध मोहम्मद सईद के मृत्यु होने के बाद उसके परिजन और पड़ोसी डॉक्टरों पर ग़लत दवा देने का आरोप लगाकर हंगामा करने लगे. बात वहीं नहीं रुकी, परिजनों ने फोन कर अपने इलाके से और लोगों को बुला लिया. रात को क़रीब 11 बजे दो ट्रकों में भरकर गुंडे अस्पताल परिसर में पहुंचे और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर परिवह मुखर्जी और यश टेकवानी की बुरी तरह पीटाई कर दी.

ईंट की चोट से मुखर्जी के सिर में फ्रैक्चर हो गया और एक निजी नर्सिंग होम में उनका ऑपरेशन किया गया है. डॉक्टर्स पर इस तरह से हमला होने की बात से हताहत जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी समेत तमाम सेवाएं ठप कर दीं और अस्पताल का गेट बंद कर दिया.

अगले दिन यह ख़बर फैलने के बाद दूसरे मेडिकल कॉलेजों में भी हंगामा होने लगा. बुधवार को वर्दवान और मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के आंदोलन की वजह से मरीज़ों के परिजनों के साथ उनकी झड़पों में कम से कम चार डॉक्टर घायल हो गए. डॉक्टर पर ऑन ड्यूटी हुए जानलेवा हमले के बाद डॉक्‍टरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया जिससे पहले से ख़राब हालत में चल रह राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. इलाज के लिए आए मरीज़ों और परिजनों का भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

उधर ममता बनर्जी ने भी इस मामले को सम्हालने में अभी तक पूरी तरह से विफल रही है, बीच बचाव करने के वजय ममता बनर्जी ने उलटा डॉक्टर्स पर धरना बंद करने का दबाव बना रही जिसमें फ़िलहाल वो वो सफल होती नहीं दिख रही. कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुए इस गुंडागर्दी के विरोध में वहाँ के डॉक्टर्स द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को अब देश भर के डॉक्टर्स और अन्य लोगों का समर्थन मिल रहा है. देश भर के सरकारी और निजी डॉक्टरों से शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल में शामिल होने की अपील की गई है. इसके बाद दिल्ली एम्स के आरडीए ने दिनभर हड़ताल पर रखने की घोषणा की है; वहीं, रायपुर एम्स ने भी गुरुवार शाम को हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की.

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हम मामूली जूखाम से लेकर कैन्सर जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए डॉक्टर्स के पास जाते हैं, ऐसे में उन्हें इलाज के दौरान निडर रहना और सुरक्षित महसूस करना अत्यंत आवास्यक है. आज अगर लोगों की जानें बचाने वाले डॉक्टर्स सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और अपनी सुरक्षा के लिए आंदोलन करना पर रहा है तो ये देश के लिए बहुत दुखद है. इस पूरे मामले में आज 4 दिन बीत जाने के बाद भी राज्य की ममता बनर्जी सरकार की रवैया बेहद ग़ैर जिम्मेदाराना है. सिर्फ़ कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल हीं नहीं बल्कि राज्य के अन्य अस्पतालों में डॉक्टर्स के साथ गुंडागर्दी की गयी है, मारपीट की गई, डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की गई है.

डॉक्टर्स को धमकाने के वजय ममता बनर्जी को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और उनकी माँगों पर ग़ौर करना चाहिए क्योंकि एक राज्य की क़ानून व्यवस्था और प्रशासन की विफलता के कारण देश भर में लोगों को दिक्कत का सामना करना पर रहा है. इससे पहले भी बहुत देर हो जाए केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करनी चाहिए क्योंकि इस पूरे मामले और ऐसे कई अन्य मामले ने देश भर में डॉक्टरों के मन में एक भय बना दिया है जिसे सिर्फ़ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करके हीं दूर किया जा सकता है.