
इन दिनों सबरीमाला मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है क्यों की उच्चतम न्यायालय ने इसे महिलायों के लिए खोलने का आदेश दिया है जिससे केरल में अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी है| कल तक माहिलाओं के सम्मान मे घंटो भाषण देने वाले आज इस निर्णय के वोरोध मे मोर्चा खोले हुआ है, हम बात दुनिया के सबसे बड़े राजनैतिक दल भाजपा की कर रहे है |
सबरीमाला का इतिहास बहुत पुराना है, इसका निर्माण 12वीं सदी मे पंडालम राजवंश के युवराज ने करवाया था| सबरीमाला की तीर्थयात्रा लंबी एवम कठिन है| 41 दिन तक चलने वाले इस यात्रा मे श्रद्धालु कई नियमो का पालन करते हैं जिसमे ब्रह्मचर्य तथा संयमित खाना महत्वपूर्ण है| साथ ही एक प्रथा पिछले 500 वर्षों से चली आ रही थी जिसमें महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नही थी|

लंबी लड़ाई और न्यायलय के आदेश के बाद महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ होता दिख रहा था , लेकिन कुछ पुराने रिवाजों के समर्थक और साथ में राजनैतिक फायदे ने पूरा खेल बदल दिया है| भाजपा ने भी इस आन्दोलन को अपना समर्थन दे दिया है| एक राष्ट्रीय और सत्तारूढ़ पार्टी होने के नाते भाजपा का ये नैतिक दायित्व बनता था की उच्चतम न्यायलय के आदेशों का पालन करवाने में मदद करे| जैसा की भाजपा ने पिछले कुछ मुद्दों पर किया था उदाहण के तौर पर हम हाजी अली और तीन तलाक को देख सकते है लेकिन यहाँ भाजपा ने अपना रंग बदलते हुए सर्वोच्च न्यालय के आदेश के विरुद्ध खड़ा है|
जहाँ बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने कई मुद्दों पर चीख चीख कर नारी अधिकार की बात की थी और खुला समर्थ किया था| मोदी जी ने भी मन की बात मे मुस्लिम बहनों के दर्द को बटने की कोशिश की थी | परन्तु शायद अब उन्हें हिन्दू बहनों से ज्यादा चिंता वोट बैंक की है|
वैसे पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मौके आये लेकिन हाल के दो मामलों ने भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं का पोल खोलने का काम किया है जिसमे एक तो ये सबरीमाला की घटना है और दूसरी एमजे अकबर पर लगे यौन उत्पीरण का आरोप| दोनों मामलों में भजपा ने साबित कर दिया की चुनाव और सभावों में कही बातें बस जुमला है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है| हालांकि के एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन इसके लिए 20 माहिलाओं के आरोप का इंतज़ार नहीं करना था, ये बहुत जल्दी होना था|
सबरीमाला में भाजपा के रुख को आप उन्ही के पार्टी के सुब्रमन्यम स्वामी के बयान से लगा सकते हैं जो उन्होंने एक निजी मीडिया हाउस को दिया था जिसमे उन्होंने साफ साफ कई मोर्चों पर भाजपा की मोदी सरकार की विफलता को कबूला है| अपने पार्टी से अलग जाते हुए स्वामी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इसे लागु किया जाना चाहिए जरूरत लगे तो सेना का मदद लिया जा सकता है |
बहुत बढिया